तारीख पर तारीख का जमाना गया, अब जस्ट जस्टिस

तीन नए क्रिमिनल लॉ बिल लोकसभा में पास

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राजद्रोह कानून खत्म; नाबालिग से रेप और मॉबलिंचिंग पर फांसी की सजा

तीन नए क्रिमिनल लॉ बिल अब राज्यसभा में पेश किए जायेंगे. कल तीनों बिल लोकसभा में पास हो चुके हैं. राज्यसभा से पास होने के बाद इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा.
इसे पेश करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अग्रेजों के समय का राजद्रोह कानून खत्म किया गया है. नाबालिग से दुष्कर्म और मॉबलिंचिंग जैसे क्राइम में फांसी की सजा दी जाएगी. त्वरित न्याय मिलेगा.

सशस्त्र विद्रोह करने, देश की संपत्ति को नुकसान पर जेल

बिल पर लोकसभा में अमित शाह ने कहा कि अंग्रेजों का बनाया राजद्रोह कानून, जिसके चलते तिलक, गांधी, पटेल समेत देश के कई सेनानी कई बार 6-6 साल जेल में रहे. वह कानून अब तक चलता रहा.
मैंने राजद्रोह की जगह उसे देशद्रोह कर दिया है. क्योंकि अब देश आजाद हो चुका है, लोकतांत्रिक देश में सरकार की आलोचना कोई भी कर सकता है. अगर कोई देश की सुरक्षा, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी.

अगर कोई सशस्त्र विरोध करता है, बम धमाके करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. उसे आजाद रहने का हक नहीं, उसे जेल जाना ही पड़ेगा. कुछ लोग इसे अपनी समझ के कपड़े पहनाने की कोशिश करेंगे, लेकिन मैंने जो कहा उसे अच्छी तरह समझ लीजिए. देश का विरोध करने वाले को जेल जाना होगा.

बच्ची से दुष्कर्म के दोषी को फांसी की सजा

पहले दुष्कर्म की धारा 375, 376 थी, अब जहां से अपराधों की बात शुरू होती है, उसमें धारा 63, 69 में रेप को रखा गया है. गैंगरेप को भी आगे रखा गया है. बच्चों के खिलाफ अपराध को भी आगे लाया गया है. हत्या 302 था, अब 101 हुआ है.
18 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप में आजीवन कारावास और मौत की सजा का प्रावधान है. गैंगरेप के दोषी को 20 साल तक की सजा या जिंदा रहने तक जेल.

गैर इरादतन हत्या को कैटेगिरी में बांटा

प्रस्तावित कानून में गैर इरादतन हत्या को दो हिस्सों में बांटा गया है. अगर गाड़ी चलाते वक्त हादसा होता है, फिर आरोपी अगर घायल को पुलिस स्टेशन या अस्पताल ले जाता है तो उसे कम सजा दी जाएगी. हिट एंड रन केस में 10 साल की सजा मिलेगी.
मॉब लिंचिंग में फांसी की सजा होगी. स्नैचिंग के लिए कानून नहीं था, अब कानून बन गया है. किसी के सिर पर लाठी मारने वाले को सजा तो मिलेगी. इससे ब्रेन डेड की स्थिति में आरोपी को 10 साल की सजा मिलेगी.

पुलिस की जवाबदेही तय होगी

शाह ने कहा- नए कानून में अब पुलिस की भी जवाबदेही तय होगी. अब कोई गिरफ्तार होगा तो पुलिस उसके परिवार को जानकारी देगी. पहले यह जरूरी नहीं था. किसी भी केस में 90 दिनों में क्या हुआ, इसकी जानकारी पुलिस पीड़ित को देगी.

आरोपी की गैरमौजूदगी में भी ट्रायल

देश में कई केस लटके हुए हैं. बॉम्बे ब्लास्ट जैसे केसों के आरोपी पाकिस्तान जैसे देशों में छिपे हैं. अब उनके यहां आने की जरूरत नहीं है. अगर वे 90 दिनों के भीतर कोर्ट के सामने पेश नहीं होते हैं तो उसकी गैरमौजूदगी में ट्रायल होगा.

आधी सजा काटने पर मिल सकती है रिहाई

गंभीर मामलों में आधी सजा काटने के बाद रिहाई मिल सकती है. जजमेंट सालों तक नहीं लटकाया जा सकता. मुकदमा समाप्त होने के बाद जज को 43 दिन में फैसला देना होगा. निर्णय देने के 7 दिन के भीतर सजा सुनानी होगी. पहले सालों तक दया याचिकाएं दाखिल की जाती थीं.
दया की याचिका दोषी ही कर सकता है पहले एनजीओ या कोई संस्थान ऐसी याचिकाएं दाखिल करता था. सुप्रीम कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद 30 दिन के भीतर ही दया याचिका दाखिल की जा सकेगी.

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