'पिंक टॉयलट' के जरिये यूपी सरकार पार करेगी चुनावी वैतरणी
भाजपा सरकार पूरे उत्तर प्रदेश में महिलाओं के लिए नि:शुल्क ‘पिंक टॉयलट’ का निर्माण कराने पर विचार कर रही है। इस बाबत शीघ्र ही वह संकल्प पत्र जारी कर सकती है। ज्ञात हो कि कानपुर में भी ऐसे ही टायलेट बनाने का काम शुरू हो चुका है।
टॉयलट के जरिये वह चुनावी वैतरणी पार कर लेगी
महिलाओं के लिए पहला पिंक टॉयलेट कानपुर के नवीन मार्केट में बनाया जा रहा है। पिंक टॉयलट के बाबत नगरीय निकाय चुनाव के लिए भाजपा रविवार को ‘संकल्प पत्र’ जारी कर सकती है। भाजपा यह मान रही है कि टॉयलट के जरिये वह चुनावी वैतरणी पार कर लेगी।
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बड़ी जीत हासिल करने की सोच चुकी है
प्रदेश में इन दिनों निकाय चुनाव की सरगर्मियां जोरों पर हैं और पहला मतदान 22 नवंबर को होगा। तीन चरणों में प्रदेश में मतदान होना है। बीजेपी इस चुनाव में टॉयलट का वादा करके बड़ी जीत हासिल करने की सोच चुकी है।
प्रचार शुरू करने की कोई भी सूचना जारी नहीं की है
मुख्यमंत्री निकाय चुनाव प्रचार का आगाज अयोध्या से 14 नवम्बर को कर सकते हैं। जानकार बताते हैं कि योगी की पहल पर ही अयोध्या नगर निगम बना है जबकि प्रदेश का मुख्यमंत्री बनते ही योगी ने अयोध्या के लिए तमाम विकास योजनाओं की घोषणाएं भी की हैं। हालांकि, भाजपा ने अधिकृत रूप से योगी के चुनाव प्रचार शुरू करने की कोई भी सूचना जारी नहीं की है।
महिलाओं को खुले में शौच करना पड़ता है
भाजपा सूत्रों ने बताया कि बाजार व शॉपिंग मॉलों में खरीदारी के लिए घर से बाहर जाने वाली महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट बड़ी सौगात साबित होगी व इससे उसकी जीत आसान हो सकती है क्योंकि भीड़भाड़ वाले इलाकों में टॉयलेट नहीं होने के चलते महिलाओं को खुले में शौच करना पड़ता है। इसमें सिर्फ महिला कर्मचारियों की ही नियुक्ति होगी। कोशिश है कि ये टॉयलेट पूरी तरह से वातानूकलित हों। भाजपा सूत्रों ने बताया कि इनका नाम पिंक इसलिए रखा गया है, क्योंकि महिलाओं को ये कलर बहुत पंसद आता है।
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इसके अलावा शहरी वोटरों के सभी वर्ग को लुभाने के लिए भाजपा कई और वादे कर सकती है जिनमें प्रमुख होगा-
-शहर के प्रमुख बाजारों व बस अड्डों पर फ्री वाई-फाई, कर सुधार, मोबाइल ऐप बेस्ड ग्रीवांस रिड्रेसल सिस्टम लागू करना।
– सफाई से जुड़ी शिकायतों के लिए विशेष कॉल सेंटर, मोबाइल ऐप।
– डोर टु डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए जीपीएस आधारित रिक्शा/ट्रॉलियों की व्यवस्था।
– सभी बड़े शहरों में एसटीपी, नगरीय क्षेत्रों में सीवर लाइन।
– खुले कचरा डिपो बंद कर उनकी वैकल्पिक व्यवस्था।
– पार्षद और नगर निगम के अधिकारियों के नियमित जनसंपर्क कार्यक्रम।
– हाउस, वॉटर टैक्स को व्यवहारिक बनाना।
– नगरीय निकायों के लिए अलग से एकीकृत त्वरित समस्या निस्तारण प्रणाली।
– निगम कर्मचारियों की बायोमीट्रिक अटेंडेंस। आदि।
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