गंगा कारीडोर के नाम पर प्रशासन लोगों को बेवकूफ बना रहा

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आशीष बागची

जी हां, गंगा कारिडोर के नाम पर प्रशासन वाराणसी के नागरिकों को खूब बेवकूफ बना रहा है। अधिकारी झूठ बोलकर और बरगला कर सिर्फ इस निमित्‍त चल रहे आंदोलन को रोकना चाहते हैं। प्रशासन एक ओर तो यह कह रहा है कि ऐसी कोई योजना स्वीकृत नहीं है, जबकि सोमवार की रात फोर्स के साथ पहुंचे दस्ते ने ललिता घाट पर दर्जनों मकानों पर चिन्हांकन किया। इससे इलाके के लोग सहमे हुए हैं।

चिह्नांकन का मकसद क्‍या?

अब सवाल है कि जब कोई योजना नहीं आई तो इस चिन्हांकन का मकसद क्या है? साफ है कि प्रशासन लोगों को गफलत में डालकर इस प्रोजेक्ट को हर हाल में अमलीजामा पहनाने में लगा है।

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इस बीच बुधवार को ‘धरोहर बचाओ’ संघर्ष समिति की कोर कमेटी की बैठक पद्मपति शर्मा के आवास पर हुई, जिसमें तय हुआ कि आगामी रविवार को नीलकंठ महादेव मंदिर पर नागरिकों की बैठक होगी। इस  बैठक में अगली रणनीति बनेगी। आंदोलन को धार दिया जायेगा।

बड़ी संख्‍या में सामाजिक संगठन आ रहे हैं आगे

वहीं इस मामले में सामाजिक संगठन भी काफी संख्‍या में आगे आगे आ रहे हैं। वल्लभ पांडेय ने अपने संगठन की ओर से इस जनविरोधी योजना को रोकने के लिए आज प्रभारी मंडलायुक्‍त को पत्रक दिया।

प्रभारी मंडलायुक्‍त को दिया पत्रक

बुधवार को प्रभारी मंडलायुक्त ओम प्रकाश चौबे से मिल कर विश्वनाथ कॉरिडोर और गंगा पाथवे योजना पर विस्तार से बात की गयी। उनसे कहा गया कि उक्त योजनाओं को ख़ारिज करें। उन्हें न्यायालयों के विभिन्न आदेशों का हवाला देकर बताया गया कि इस प्रकार की परियोजनाएं गैर कानूनी हैं और काशी की परम्परा पर हमला हैं।

संपूर्ण क्षेत्र को हेरिटेज का स्‍वरूप देने की मांग

मांग की गयी कि काशी में विशेषकर पक्का महाल के 7-8 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को हेरिटेज स्वरूप दिया जाये व  घाटों, पूजा स्थलों, गलियों आदि को संरक्षित किया जाये। बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर और गंगा पाथवे जैसी तुगलकी योजनायें तत्काल खारिज होनी चाहिए। भविष्य में ऐसी योजनायें बनाते समय माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद की जनहित याचिका संख्या 31229/2005 (कौटिल्य सोसाइटी बनाम राज्य सरकार) और माननीय उच्चतम न्यायालय की रिट याचिका संख्या 611/1993 (मो.असलम उर्फ़ भूरे बनाम भारत सरकार) में पारित आदेशों और मुकदमों के दौरान सरकार की तरफ से दाखिल शपथपत्रों को संज्ञान में लिया जाये।

नगर निगम की संस्‍तुति ली जाये

कहा गया कि वाराणसी नगर के विकास की कोई भी योजना बनाये जाने से पूर्व उस पर नगर निगम की बैठक में संस्तुति लेना अनिवार्य होना चाहिए। काशी के विकास की सभी योजनाओं के बारे में पारदर्शी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे सम्बंधित पार्षदों एवं स्थानीय जनता को सभी सूचनाएं प्रामाणिक रूप में मिलती रहें तथा किसी भी प्रकार का भय, भ्रम और दहशत की स्थिति न बने।

चार विनायक मंदिर भी जद में

कॉरिडोर योजना में जिन भवनों को गिराने की बात सोची जा रही है उनमें दर्जनों छोटे-बड़े मंदिर शामिल हैं। काशी के प्रसिद्ध 56 विनायक मंदिरों में से चार विनायक मंदिर भी जद में बताये जा रहे हैं।

चिह्नांकन वाले मंदिरों की सूची

जिन मंदिरों में चिह्नांकन हुए हैं, उनके नाम हैं- आदि संकट मोचन मंदिर सीके 34/06, शिव मंदिर 34/07, काशी मुमुक्षु भवन में शिव मंदिर और महावीर भगवान की मूर्ति 34/08-09, करुणेश्वर महादेव 34/10, शिवालय 34/12, मांधातेश्वर मंदिर निजी 34/14, शिवाला 34/20, 24 और 27, एकादश रुद्र मंदिर 34/33, दत्तात्रेय मंदिर व मठ 34/36, राधाकृष्ण मंदिर 34/38, इच्छापूर्ति गणेश 34/42, निर्मल मठ 34/45, शिवाला निजी 34/46, शिव मंदिर 34/05। इसके अलावा मणिकर्णिका घाट के पास जौ विनायक मंदिर।

यहीं से शुरू होती है पंचक्रोशी यात्रा

यात्री यहीं से पंचक्रोशी यात्रा प्रारंभ करते हैं। इसी के नीचे दीवार में करीब आधा दर्जन देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। इस बारे में आंदोलन के कर्ता-धर्ता व मां विशालाक्षी देवी मंदिर के महंत राजनाथ तिवारी कहते हैं कि प्रशासन लोगों की भावनाओं से खेलकर सारा काम कर रहा है। वह लोगों को एकजुट न होने देने के लिए सारी कवायद कर रहा है। पर, उसे अपने मकसद में कामयाब नहीं होने देना है।

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