मिर्ज़ा ग़ालिब गए ही कहां… वो तो हर ज़ेहन और ज़ुबां पर हैं Journalist Cafe दिसम्बर 27, 2017 0 ये ना थी हमारी किस्मत की विसाल-ए-यार होता/ अगर और जीते रहते यही इंतजार होता।'हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पर दम निकले/बहुत…