कानूनी क्षेत्र में तकनीक से होंगे क्रांतिकारी बदलाव : सुब्रमण्यम स्वामी

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माई एडवो के सहयोग से लीगल फर्म लॉ पंडित्स ने ‘लीगल टेक फेयर 2017’ का आयोजन किया जिसमें वक्ताओं ने कहा कि कानूनी क्षेत्र में प्रतिभा और तकनीक के साथ मिलकर काम करने से क्रांतिकारी बदलाव हो सकते हैं। इस अवसर पर भाजपा सांसद और अर्थशास्त्री डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, “डिजिटलीकरण के युग में नई तकनीकों के आने से कानून उद्योग में परिवर्तन हो रहा है। अदालतें मामलों से घिरी हुई हैं, इसके लिए एक विशाल दस्तावेज भंडारण की आवश्यकता है और तकनीक इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।”

दिल्ली में शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में आने वाले लोगों और मेहमानों को कानून के क्षेत्र में ई-डिस्कवरी, केस मैनेजमेंट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निग के इर्द-गिर्द कानूनी सेवाएं मुहैया कराने और उनका डेमो दिखाया गया।

वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने कहा, “लोगों द्वारा व्यवसायों में तकनीक को अपनाना एक व्यक्तिगत पसंद है। उसी प्रकार कानूनी उद्योग में भी तकनीक उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितना अन्य उद्योगों में।”

इस लीगल टेक फेयर में नामी और मशहूर वकीलों, प्रमुख न्यायाधीशों और कॉरपोरेट्स के वकीलों ने शिरकत की। इस कार्यक्रम का उद्देश्य दुनिया को यह दिखाना था कि तकनीक से कैसे आम आदमी को कानूनी सेवाएं मुहैया कराने के क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव लाया जा सकता है।

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लोगों को कार्यक्रम में कानूनी क्षेत्र के प्रॉडक्ट्स के लाइव डेमो के अतिरिक्त कानूनी तकनीक में हुए विकास के विभिन्न नजरियों को समझने का मौका मिला। ‘लीगल टेक फेयर 2017’ का मकसद कानूनी क्षेत्र में सारे पारिस्थितकी तंत्र को एक साथ लाना है और इंडस्ट्री पर प्रभाव डालने वाले नए कारोबार और नियामक ट्रेंड, नई तकनीक और नई प्रतिभाओं को खोज निकालने के लिए कानूनी कामकाज का प्रबंधन करना है।

माईएडवो के सीईओ कुशलाल भगत ने कहा, “लीगल टेक कार्यक्रम एक अनूठा कार्यक्रम है, जिसने कानूनी उद्योग से जुड़े प्रतिभाशाली व्यक्तियों, प्रतिभाशाली युवा उद्यमियों को कानूनी उद्योग में तकनीक पर चर्चा करने के लिए एक साथ मंच पर लाने का काम किया।”

लीगल टेक कार्यक्रम का उद्देश्य अदालतों में सालों से लटके हुए मामलों के कारण किसी व्यक्ति को इंसाफ मिलने में हुए विलंब का तकनीकी समाधान निकालना और सिस्टम को ऑटोमैटिक बनाना है, जिसके लिए मानव बल, समय और प्रयास की जरूरत है।

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