“देवताओं को राजनीति से दूर रखा जाए” तिरुपति प्रसादम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

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सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में तिरुपति लड्डू विवाद पर सुनवाई करते हुए धार्मिक मामलों को राजनीति से दूर रखने की आवश्यकता पर जोर दिया. यह विवाद आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी सरकार के दौरान तब शुरू हुआ जब तिरुपति के प्रसिद्ध लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में मिलावट के आरोप सामने आए.

लैब परीक्षण में पाया गया कि घी में लार्ड (सूअर की चर्बी), टैलो (भेड़ की चर्बी) और मछली के तेल की मौजूदगी थी, जिसने भक्तों के बीच चिंता का विषय बना दिया. इसके बाद कई लोगों ने धार्मिक संस्थाओं को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार से सवाल किया कि जब मामले की एसआईटी जांच चल रही थी, तब मीडिया को इस बारे में जानकारी देने की क्या आवश्यकता थी. कोर्ट ने कहा कि जब तक जांच के नतीजे नहीं आ जाते, तब तक प्रेस से जुड़ने की कोई जरूरत नहीं थी, जो न्यायिक प्रक्रियाओं के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

ताकि न हो आस्था का दुरुपयोग…

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि देवताओं को राजनीति से अलग रखा जाना चाहिए, ताकि आस्था का दुरुपयोग न हो सके. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मुद्दे की गंभीरता को स्वीकार करते हुए कहा कि अगर मिलावटी घी का इस्तेमाल हुआ है, तो यह अस्वीकार्य है. इस विवाद के सामने आने के बाद एक बार फिर से हिंदू मंदिरों से सरकारी नियंत्रण को खत्म करने की मांग ने भी जोर पकड़ लिया है.

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राज्यसभा सांसद ने दाखिल की याचिकाएं

बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी और तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के पूर्व अध्यक्ष और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी से राज्यसभा सांसद वाईवी सुब्बा रेड्डी ने याचिकाएं दाखिल की हैं. इन याचिकाओं पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ सुनवाई कर रही है.

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