दलितों के प्रमोशन पर ‘सुप्रीम’ फैसला, भाजपा को मिल सकता है फायदा
सुप्रीम कोर्ट ने दलितों को नौकरियों में प्रमोशन को लेकर मौजूदा आरक्षण व्यवस्था को तब तक वैसै ही रखने को कहा है जबतक इस मामले पर संविधान पीठ कोई नया फैसला नहीं सुनाता है। सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) के इस आदेश के बाद भाजपा को आगामी वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों में इसका फायदा मिल सकता है। क्योंकि बीजेपी दलितों को साधने के लिए कोई बी कोर कसर नहीं छोड़ रही है। चाहे वो दलितों के घर पहुंचकर खाना खाने की रणनीति हो या फिर दलितों के आरक्षण का मामला हो। बता दें कि मोदी सरकार की परेशानियां उस वक्त बढ़ गई थीं जब सुप्रीम कोर्ट को अटॉर्नी जनरल एससी/एसटी एक्ट को लेकर कथित तौर पर दुरुपयोग के मामलों पर भरोसा नहीं दिला पाए थे।
विपक्ष ने लगाया आरोप
विपक्ष ने इसके बाद बीजेपी पर इस एक्ट के प्रावधानों को कमजोर करने की साजिश का आरोप लगाया था। इस पर बीजेपी को सफाई देनी पड़ी थी कि आरक्षण और दलित समुदाय की सुरक्षा से जुड़े अन्य नियम बने रहेंगे। केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट इस मामले में राहत नहीं देता है तो सरकार अध्यादेश लाएगी। कर्नाटक विधानसभा चुनावों में बीजेपी को इस वजह से झटका लगने का डर था, जो सही साबित हुआ।
Also Read : 2019 में नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव लड़ेगा एनडीए
आरक्षण को लेकर भाजपा सांसदों ने उठाए सवाल
पार्टी का बॉम्बे-कर्नाटक और हैदराबाद-कर्नाटक में अच्छा प्रदर्शन नहीं रहा, जहां दलित आबादी ज्यादा है। हालांकि, इसके कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं। बीजेपी के दलित सांसदों को एससी/एसटी ऐक्ट में बदलाव की वजह से अपने समुदाय के गुस्से का सामना करने का डर था। इसलिए कई सांसदों ने इसके खिलाफ विरोध दर्ज कराया था।
विपक्ष ने साधा निशाना
खबरों के मुताबिक, पार्टी प्रमोशन में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अपनी स्थिति तैयार कर रही है, क्योंकि इसका इस्तेमाल दलित वोटर्स को लुभाने के लिए किया जा सकता है। पार्टी दलित वोटर्स को अपने साथ लाने के लिए अपने नेताओं को उनके घरों में जाकर खाना खाने को कहा था। हालांकि, इसका खास प्रभाव पड़ता नहीं दिख रहा है। विपक्ष ने बीजेपी के इस कदम को दिखावटी बताते हुए आलोचना की थी। उसने दलित वोटर्स को साथ लाने की बीजेपी की इन कोशिशों को उसके शासनकाल में समुदाय पर हुए अत्याचार की कई रिपोर्टों के जरिए कमतर करती रही है।