सुप्रीम कोर्ट ने महिला को दी गर्भपात की इजाजत

0

सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कोलकाता की 26 सप्ताह की एक गर्भवती महिला को गर्भपात की अनुमति दे दी, क्योंकि महिला के गर्भ में पल रहा भ्रूण गंभीर विकृतियों से ग्रस्त है। न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर तथा न्यायमूर्ति ए.एम.खानविलकर की पीठ ने गर्भवती महिला तथा भ्रूण की जांच करने वाले मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट देखने के बाद महिला का एसएसकेएम हॉस्पिटल में गर्भपात कराने का निर्देश दिया।

पीठ ने कहा, “मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए हम याचिकाकर्ता को अनुमति देने के लिए तैयार हैं और गर्भपात कराने का निर्देश देते हैं।” 24 सप्ताह की गर्भवती याचिकाकर्ता महिला द्वारा गर्भपात की अनुमति मांगने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने गर्भवती महिला की चिकित्सकीय स्थिति की जांच के लिए 23 जून को सात चिकित्सकों की एक समिति का गठन किया था।

Also read : अब रामनाथ कोविंद के समर्थन में उतरी समाजवादी…

याचिकाकर्ता ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 की धारा 3(2)(बी) की संवैधानिक मान्यता को चुनौती दी है, जो 20 सप्ताह से अधिक के भ्रूण के गर्भपात पर रोक लगाती है।

उन्होंने दलील दी है कि यह रोक सन् 1971 में उचित थी, जब इस कानून को लागू किया गया था। लेकिन, आज प्रौद्योगिकी उन्नति के दौर में 26 सप्ताह तक गर्भपात कराना बिल्कुल सुरक्षित है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More