कभी एक बुक-स्टोर से शुरु किया बिजनेस, आज देशभर में हैं सैकड़ों ब्रांच
दुनिया में हर इंसान कोई न कोई अपना बिजनेस करता है या फिर नौकरी करता है। कुछ लोगों को अमीरी विरासत में मिल जाती है तो कुछ को किस्मत से। लेकिन दुनिया में ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने अपनी मेहनत, जुनून और बुलंद हौसले की वजह से आज पूरी दुनिया में अपनी कामयाबी का झंडा लहरा चुके है।
लेकिन इन सफल लोगों की कहानी हमें कुछ न कुछ जरुर सिखाती है। क्योंकि जिसे देखकर हम अक्सर ये कहते हैं कि अरे ये तो वहीं इंसान है जो कल तक ऐसा नहीं था, आज इतना अमीर कैसे हो गया। लेकिन कभी आपने ये सोचा है कि उसके कल और आज के बीच में उस इंसान ने कितनी मुश्किलों से सामना किया है, कितनी मेहनत की है लोगों की बातें सुनी है।
नहीं क्योंकि आपको और हम सबको सिर्फ लोगों की कामयाबी दिखती है लेकिन उसके पीछे किया गया श्रम नहीं दिखता है। कुछ ऐसी ही कहानी है आज के इस हीरो की जिसकी किस्मत ने उसे बहुत रुलाया लेकिन उसने भी हार नहीं मानी और आखिर में किस्मत को भी मजबूर होकर उसके सामने झुकना ही पड़ा।
दरअसल ये कहानी है एक ड्रॉप-आउट इंजीनियर की, जिसने बहुत से कामों में अपना हाथ अजमाया लेकिन आखिर में सब कामों में असफलता ही हाथ लगी। फिर उन्होंने 1988 में चेन्नई में एक बुक स्टोर खोला जिसका नाम लैंडमार्क रखा। और इस काम में वे पूरी तरीके से आनंद लेने लगे।
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एक दिन एक ग्राहक रामप्रसाद श्रीराम के पास आएऔर कहा कि आप हैदराबाद में एक बुक स्टोर खोलें। लेकिन रामप्रसाद में इतना साहस नहीं था कि वो अकेले हैदराबाद में एक और बुक स्टोर खोल सकें। फिर उन्होंने अपने साथ काम करने वाले दो साथियों से मदद मांगी और हैदराबाद में एक और बुक स्टोर खोल दिया।
जिसका नाम वाल्देन रखा। इसी बुक स्टोर के साथ ही श्रीराम की किस्मत ने साथ देना शुरू कर दिया और और श्रीराम ने सफलता की सीढ़ियों को चढ़ना शुरू कर दिया। 1992 में अपने उन्हीं साथियों अनीता के साथ मिलकर मुंबई में क्रॉस-वर्ड नामक बुक स्टोर शुरू किया। और आज देशभर में क्रॉस-वर्ड की तकरीबन 83 ब्रांचेस हैं।
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