10वीं पास इस लेडी ने खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी
इंसान के अदर असीमित सहन शक्ति और कार्यक्षमता छुपी होती है। सिर्फ जरुरत होती है उस शक्ति को पहचानने की जो इंसान के अंदर है जिससे आप दुनिया में अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। लेकिन बात जब किसी महिला की हो तो ये चीजें और बड़ जाती हैं। क्योंकि नारी में सहनशक्ति की कोई सीमा नहीं होती है। और नारी के अंदर एक अदम्य साहस होता है जो किसी भी मुश्किलों से टकराने की हिम्मत रखती है।
महिलाओं को हमारे देश में आज भी वो दर्जा नहीं मिल पाया है जिसकी वो हकदार हैं। कानून ने भले ही अपनी तरफ से ढेर सारे नियम बनाकर महिलाओं की सुरक्षा और उनका हक दिलाने की बात करती हो लेकिन समाज में आज भी महिलाएं किसी न किसी की प्रताड़ना और शोषण का शिकार हो रही है। लेकिन कुछ महिलाएं इन सब के बाद भी इन समाज के लोगों से लड़ते हुए अपने जीवन की राह आसान बनाने में लगी हुई है ।
मुसीबतों से लड़ते हुए शुरु किया काम
अपने हौसले और जुनून के दम पर सफलता की बुलंदियां छूने की कोशिश कर रही हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है इस महिला की जिसने पति की पूरी आदतों के बावजूद भी वो मुकाम हासिल कर दिखाया जो काबिले तारीफ है। एक औरत जो पति की पिटाई से इस तरह जख्मी हुई कि अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच लड़ने लगी। लेकिन जिंदगी ने इस महिला को एक और मौका दिया फिर से जिंदगी जीने का।
इस एक मौके ने आज इस महिला की जिंदगी को बदल कर रख दिया है। और खुद के दम पर करोड़ों की मालकिन बन गई है। मुंबई के भिवांडी के एक मध्यमवर्गीय परिवार में भारती सुमेरिया का जन्म हुआ था। उनके रुढ़िवादी पिता ने दसवीं तक पढ़ाने के बाद पढ़ाई पर रोक लगा दी जिसकी वजह से वो आगे नहीं पढ़ पाईं, और उनकी शादी कर दी गई। शादी के बाद भारती ने एक बेटी को जन्म दिया। और कुछ साल बीत जाने पर जुड़वा बेटे हुए।
पति की आदतों की वजह से छोड़ना पड़ा ससुराल
पति बेरोजगार था और पिता की पूरी जायदाद घर का किराया देने में ही खत्म कर दिया। साथ ही जब भारती कुछ बोलती थी तो उसे बेवजह ही पीटना शुरू कर देता था। कई बार तो इतनी बूरी तरह से पीटता था कि अस्पताल में भर्ती होना पड़ता था। इन सब से तंग आकर एक दिन भारती ने अपने फिता के घर जाने का फैसला किया और बच्चों के साथ मायके चली गई।
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भारती ने पिता के घर पर रहकर कुछ करने की सोची और 2005 में भारती ने एक छोटी सी फैक्ट्री खोली जिसमें छोटे-छोटे सामान घरेलू उपयोग वाली बनाना शुरू कर दिया। इस काम के लिए उनके पिता ने बैंक से करीब 6 लाख रुपए का लोन लिया और बेटी के साथ काम खुद भी काम शुरू कर दिया। 3-4 साल बीत जाने के बाद भारती ने एक और कदम आगे बढ़ाते हुए पीइटी नामक फैक्ट्री खोली जिसमें पलास्टिक की बोतलें बनाने का काम शुरू कर दिया।
इस कंपनी को बाजार में सफलता मिलने लगी और भारती के सपनों को उड़ान भरने में आसानी होने लगी। धीरे-धीरे भारती ने एक के बाद एक कदम आगे बढाती गईं और आज सिप्ला, बिसलेरी जैसे बड़े ब्रॉंड के साथ जुड़कर काम कर रही हैं। भारती ने अपने बिजनेस को बढ़ाते हुए कंपनी की चार और फैक्ट्रियों को खोल चुकी हैं, साथ ही कंपनी का सालाना टर्नओवर करीब 4 करोड़ रुपए हो गया है।
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