74 साल की उम्र में शिक्षा की अलख जगा रही हैं गौरव मां
दुनिया में दो तरह के इंसान होते है जिनमें एक ऐसे लोग होते हैं जो दुनिया की पूरी दैलत के मालिक बनना चाहते हैं तो दूसरे वो लोग होते हैं जो अपनी छोटी-मोटी पूंजी भी देशसेवा और गरीबों के लिए खर्च कर देते हैं। ये वो लोग होते हैं जो समाज में रहकर दूसरों पर सवाल नहीं उठाते बल्कि अपना कर्तव्य समझकर देशहित में अपना योगदान देने को हरदम तैयार रहते हैं। किसी गरीब के लिए कुछ करने के बाद जो इनको खुशी मिलती है शायद यही इनके लिए सबसे बड़ी दौलत होती है। कुछ ऐसी ही कहानी है एक 74 साल की बूढ़ी महिला स्नेहलता की।
गरीब बच्चों के लिए चलाती हैं स्कूल
स्नेहलता जिन्हें लोग प्यार से गौरव कहते हैं। गौरव क्यों कहते हैं इसके पीछे भी एक कहानी है। स्नेहलता गौरव मां के नाम से इसलिए बुलाते हैं क्योंकि वो गौरव फाउंडेशन फॉर ह्यूमन एंड सोशल डेवलपमेंट के नाम से एक संस्था चलाती हैं। जिसके द्वारा वो गरीब बच्चों को पढ़ाने से लेकर गरीबों और मजदूरों की मदद करती हैं।
स्कूल में पढ़ते हैं 200 बच्चे
गुड़गांव के सेक्टर 43 में उनका एक स्कूल चलता है जिसमें वो बच्चे पढ़ने आते हैं जिनके मा-बाप किसी स्कूल की फीस नहीं भर सकते हैं। यहां पर रिक्शाचालकों मजदूरों और दिहाड़ी पर काम करने वालों के बच्चे पढ़ते हैं। इस स्कूल में इस समय करीब 200 बच्चे पढ़ रहे हैं लेकिन जब ये स्कूल शुरू हुआ था तो महज 20 बच्चे ही पढ़ने आते थे। अब बात करते हैं गौरव मां की जो एक 74 साल की बूढ़ी महिला हैं।
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खुद की पेंशन से चलाती हैं स्कूल
जिस उम्र में लोग रिटायर होकर चैन की सांस लेना चाहते हैं उस उम्र में स्नेहलता गरीब बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जगा रही हैं। आप को बता दें कि स्नेहलता दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाती थीं। रिटायरमेंट के बाद भी उन्होंने अपना काम छोड़ना मुनासिब नहीं समझा। शायद इसीलिए आज वो गरीब बच्चों को अपने पेंशन के पैसे से पढ़ाने का एक नेक काम कर रही हैं।
स्नेहलता का स्कूल उनको मिलने वाली पेंशन पर चलता है। कभी-कभी उनको स्कूल के लिए कुछ अलहग से दान मिल जाता है। स्नेहलता के स्कूल में सिर्फ बच्चों को शिक्षा ही नहीं मिलती है बल्कि उन्हें किताबें खाना और कपड़ा भी दिया जाता है। स्नेहलता का मानना है कि बिना अंग्रेजी के आगे की पढ़ाई बच्चों के लिए मुश्किल है इसलिए बच्चों को इंग्लिश माध्यम से पढ़ाया जाता है ताकि उन्हें आगे चलकर अंग्रेजी को लेकर कोई हिचकिचाहट न हों।
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