‘गिनीज बुक’ में नाम और संगीत की दुनिया में धमाल

0

कुछ लोग दुनिया में ऐसे होते हैं जो अपनी मुश्किलों को अपने करियर के बीच नहीं आने देते हैं। चाहे वो कोई भी परेशानी क्यों न हो। कहते हैं दुनिया उन्ही लोगों की कहानी याद रखती है जो अपना मुकाम आसमान की बुलंदियों पर बनाते हैं। वरना सफलता तो हर कोई पाता है। लेकिन वो सफलता की कहानी जो किसी को तराश कर हीरा बना दे बहुत ही कम लोगों की होती है। उन्हीं कम लोगों में एक ऐसा नाम भी है जिसके बारे में आप जानकर यकीन नहीं कर पाएंगे कि ऐसा भी हो सकता है।

दरअसल, हम बात कर रहे हैं रचना जी शाह की। रचना जन्म से ही सुन नहीं पाती हैं, साथ ही बोलने में बी परेशानी होती थी। लेकिन रचना ने अपनी इस कमजोरी को कभी बी अपने करियर के रास्ते में रुकावट नहीं बनने दिया। जिसकी वजह से आज रचना नृत्य, गायन और हारमोनियम बजाने के लिए लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं। जिन लोगों ने रचना को परफॉर्म करते हुए देखा, वे कहते हैं कि वह म्यूजिक ‘देख’ सकती हैं।

लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्ड्स के 222वें पेज के मुताबिक, अहमदाबाद की रचना जी शाह जन्म से ही नहीं सुन सकतीं। उन्हें बोलने में भी दिक्कत होती थी, पर स्पीच थेरपी और ट्रेनिंग के बाद वह बोल सकती हैं। वह गुजराती, हिंदी, संस्कृत और इंग्लिश में बोल, लिख और पढ़ सकती हैं। वह शास्त्रीय और लोक संगीत गाती हैं, नृत्य करती हैं और हारमोनियम भी बजाती हैं। इन सबके अलावा उनके पास बीटेक की फर्स्ट क्लास की डिग्री भी है।

जिसने भी बचपन में रचना को देखा होगा, उसने कभी नहीं सोचा होगा कि वह 23 साल की उम्र में ‘संगीत विषारद’ और भरतनाट्यम डांसर बनेंगी। जब रचना 100 प्रतिशत कर्ण बाध्यता के साथ पैदा हुईं तो उनकी मां ज्ञानेश्वरी शाह ने हिम्मत नहीं खोई। रचना की मां ने उन्हें सुनने वाली मशीन के जरिए शास्त्रीय संगीत सुनने में मदद की।

Also read : अब जौहर यूनिवर्सिटी को आजम खुद ही ‘डायनामाइट’ से उड़ाएंगे

रचना की मां ज्ञानेश्वरी बताती हैं, ‘वह जैसे-जैसे बड़ी होती गई, हमने पाया कि वह हमारी बात नहीं सुन पा रही है, क्योंकि वह कोई प्रतिक्रिया नहीं देती थी। बाद में डॉक्टरों ने बताय़ा कि वह बिल्कुल नहीं सुन सकती। सुनने की मशीन का 6 महीने तक इस्तेमाल करने के बाद उसने एक-दो शब्द बोलना शुरू किया।’

ज्ञानेश्वरी आगे बताती हैं, ‘पहले हमने थेरपी के हिस्से के तौर पर उसका परिचय संगीत की दुनिया से करवाया। डॉक्टरों ने सलाह दी कि संगीत या नृत्य से शुरुआत करें, हमने नृत्य को प्राथमिकता दी। कुछ वर्षों बाद, संगीत के प्रति भी रचना की रुचि बढ़ने लगी।’

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More