विमान से ऑफिस पहुंचेंगे Starbucks के नए CEO, 1600 km दूर है घर से ऑफिस…
नई दिल्ली: अगर आप जॉब करते हैं और आपका ऑफिस आपके घर से दूर है?.5 किलोमीटर? 10 किलोमीटर? 25 किलोमीटर? या इससे ज्यादा? सोचिए, अगर आप लखनऊ में रहते हों आपको प्रतिदिन ऑफिस के लिए 1600 किमी दूर चेन्नई जाना हो तो रोजाना ऑफिस कैसे जाएंगे? ऐसे में आपके मन में सवाल आता है कि आप चेन्नई में ही रहेंगें. लेकिन आज के आधुनिक दौर में स्टारबक्स के नए सीईओ ब्रायन निकोल के लिए यह संभव हो गया है. ब्रायन अपने घर से ऑफिस जाने के लिए रोजाना 1600 किलोमीटर का सफर तय करेंगे. इसके लिए वह कॉर्पोरेट जेट का इस्तेमाल करेंगे और सबसे खास बात यह है कि इसका खर्च निकोल नहीं बल्कि कंपनी देगी…
जानें कौन है ब्रायन निकोल
बता दें कि निकोल 2018 से चिपोटल के साथ हैं और मार्च 2020 में बोर्ड के अध्यक्ष बने. स्टा रबक्स के सीईओ ब्रायन निकोल अमेरिका में रहते हैं. स्टारबक्स ने ब्रायन निकोल को अपना सीईओ बनाया है. निकोल अगले महीने 9 सितंबर को ऑफिस ज्वाइन करेंगे.
करोड़ों का मिलेगा पैकेज…
गौरतलब है कि जिस उम्र में भारतीय कमाने के लिए सोचना बंद कर देता है उस उम्र में निकोल को स्टारबक्स करोड़ों रुपये का पैकेज देगी. जानकारी के मुताबिक, स्टारबक्स के तरफ से निकोल को 113 मिलियन डॉलर (9,48,61,57,900 रुपये) की सैलरी दी जाएगी. ब्रायन निकोल की सालाना बेसिक सैलरी 1.6 मिलियन डॉलर (13.42 करोड़ रुपये) है. वहीं काम के आधार पर इन्हें हर साल 3.6 मिलियन डॉलर से 7.2 मिलियन डॉलर का बोनस भी मिलेगा. वहीं इन्हें कंपनी के शेयर में हिस्सेदारी मिलेगी, जो सालाना 23 मिलियन डॉलर तक की हो सकती है.
अगले महीने से लेंगे जिम्मेदारी…
बताया जा रहा है कि निकोल अगले महीने की 9 तारीख से कंपनी में जिम्मेदारी संभालेंगें. कहा जा रहा है कि कंपनी की हाइब्रिड पॉलिसी के अनुसार ब्रायन को हफ्ते में कम से कम तीन दिन ऑफिस आना होगा. हालांकि यह तब है जब वह कंपनी के किसी काम से कोई ट्रैवल नहीं कर रहे होंगे. सीईओ का पद संभालने के बाद ब्रायन ने अभी तक ऑफिस जॉइन नहीं किया है. क्यूंकि ब्रायन का घर कैलिफोर्निया के न्यूपोर्ट में है, वहीं स्टारबक्स का हेडक्वॉर्टर वॉशिंगटन के शहर सिएटल (Seattle) में है. दोनों शहरों के बीच की हवाई दूरी करीब 1600 किमी है. ब्रायन कंपनी के काम से दूसरे शहरों और देशों की भी यात्रा करेंगे जो कि कंपनी के खर्चे पर होगी.
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क्या कंपनी अपने बड़े अधिकारियों को ऐसी सुविधा देती है…
बता दें कि अभी तक की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी इस तरह की सुविधा सभी बड़े अधिकारियों को नहीं बल्कि किसी चुनिंदा को ही देती है. क्यूंकि इस सुविधा से कंपनी को काफी नुक्सान होता है और आगे आर्थिक संकट आ सकता है इसलिए इस तरह की सुविधाएँ सभी बड़े लेवल के अधिकारियों को नहीं दी जा सकती है लेकिन जरूरत पड़ने पर कंपनी ऐसी सुविधा उपलब्ध करा सकती है.
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घोटाले में जाती है ऐसी सुविधाएँ…
कहा जाता है कि इस तरह कर्मचारियों को सुविधा देना एक नए तरीके का घोटाला है. इसमें किसी को पता नहीं चल सकता है कि इस सुविधा में कंपनी का कितना खर्च हुआ है. जो कि कम्पनी इसे अपने बचत में जोड़ सकती है और एक बड़ी रकम का घोटाला कर सकती है.