पावर ऑफ अटार्नी पर भी देना होगा रजिस्ट्री की तरह स्टांप शुल्क, परिवार के सदस्यों को राहत
उत्तर प्रदेश में अब अचल संपत्ति के लिए किसी के नाम पावर ऑफ अटार्नी मुख्तारनामा करना असान नही होगा. आपको रजिस्ट्री की तरह ही स्टांप शुल्क जमा करना होगा. हालांकि परिवार के सदस्यों को इस नियम से मुक्त रखा गया है. यादि परिवार के सदस्य आपस में मुख्तारनामा करना चाहते हैं. तो उन्हें मात्र 5 हजार रूपए जमा करने होंगे. मगलवार को सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस अहम प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई ।
इसे सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है. स्टांप एवं पंजीयन विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार ) रवींद्र जायसवाल ने बताया कि मुख्तारनामों में हो रहे करापवंचन को रोकने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है.
कैबिनेट के सामने रखे इस प्रस्ताव में दूसरे राज्यों का भी उदाहरण दिया गया. जैसे महाराष्ट्र मध्य प्रदेश और बिहार में यही व्यवस्था है। दिल्ली में पावर ऑफ अटार्नी पर 3 प्रतिशत स्टांप शुल्क लगता है।
क्या है मुख्तारनामा…
परिवार से अलग किसी व्यक्ति को अचल संपत्ति बेचने का अधिकार देने के लिए मुख्तारनामा किया जाता है. हालांकि इसका पंजीकरण कराना अनिवार्य नही हैं. लेकिन विलेख की प्रमाणिकता के लिए लोग इसका पंजीकरण कराते हैं. जिसमें बड़े पैमाने पर खेल होता है. अब मुख्तारानामा में बेनामी की तरह संपत्ति के बजार मुल्य के हिसाब से स्टांप शुल्क लगेगा।
परिवार के सदस्यों पर 5 हजार शुल्क…
परिवार के सदस्यों जैसे पिता, माता, पति, पत्नी, पुत्र, पुत्रवधु, पुत्री, दामाद, भाई, बहन, पौत्र पौत्री, नाती, नातिन को परिवार का सदस्य माना गया है. जिन्हें बाजार मूल्य पर स्टांप नहीं देना होगा. इसके लिए केवल पांच हजार रुपये शुल्क फिक्स किया गया है।
पहले सिर्फ 50 रुपये देना होती थी फीस….
मुख्तारनामों के पंजीकरण की संख्या प्रदेश में लगातार बढ़ रही है। दरअसल भू संपत्ति की अवैध खरीद फरोख्त का ऐसा खेल प्रदेख में खेला गया कि सरकार को यह कदम उठाना पड़ा। खास तौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में यह खेल हो रहा था।
गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर आदि जिलों में आलम यह था कि संपत्ति की खरीद फरोख्त के लिए एक दूसरे के नाम मुख्तारनामा कराया जाता. मात्र 50 रुपये का स्टांप लगाकर यह काम होता. उसके बाद संपत्ति को आगे बेच दिया जाता. स्टांप मंत्री के मुताबिक पांच वर्षों में प्रदेश के निबंधन कार्यालयों में 102486 विलेख पंजीकृत कराए गए. गाजियाबाद में तो यह बड़ा खेल सामने आने पर कई अधिकारियों कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई। उत्तराखंड की सीमा से सटे जिलों में वहां के रीयल एस्टेट कारोबारी यही गड़बड़झाला कर रहे थे।
अब यह लगेगा स्टांप…
कैबिनेट के फैसले में मुख्तारनामे पर नियम 23 खंड (क) के तहत स्टांप शुल्क देने को मंजूरी दी है. इसके मुताबिक इस समय रजिस्ट्री करने पर महिला को दस लाख की राशि तक के बैनामे पर 4 तथा पुरुष को 5 प्रतिशत स्टांप शुल्क देना पड़ता है। विकसित क्षेत्र में यह शुल्क 7 प्रतिशत है।
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