जब ‘सफेद कमीज’ पर पड़े दाग…तो ‘दाग’ अच्छे हैं
सबसे सफेद कमीज पहनने वालों की कमीजों पर जब दाग पड़ रहे हैं तो दाग अच्छे हैं। जी हां हम बात कर रहे आम आदमी पार्टी की और उस चेहरे की जो अन्ना के आंदोलन से उभऱा और आज सीएम बन गया। हाथ में तिरंगा लेकर देश को भ्रष्टाचार मुक्त कराने की बात करने वाले खुद ही भ्रष्ट हो चुके हैं। केजरीवाल के सत्ता में आते ही माना जा रहा था कि देश में एक अलग बदलाव आयेगा, एक अलग तरह की राजनीति होगी, लेकिन आज केजरीवाल जिस तरह की राजनीति कर रहे हैं बड़े बड़े दिग्गजों को उन्होंने पीछे छोड़ दिया हैं। जिस साख पर बैठे है उसी को काटते नजर आ रहै हैं।
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चुनाव आयोग से लेकर सभी पर सवाल भी खड़े कर दिये
केजरीवाल ने ऐसी राजनीति खेली कि एक के बाद एक साथियों को ही अलग करते चले गये। पहले तो उन्होंने अन्ना को अलग कर दिया उसके बाद कुमार विश्वास से लेकर अन्य भी। केजरीवाल का सीधा सा राग रहा है कि ‘खाता न बही अरविंद केजरीवाल सही’। जिसने भी केजरीवाल से सवाल किया वो पार्टी से बाहर होता चला गया।खुद को दोष देने के बजाय दूसरों पर थोपने की कोशिश करती रहती है। केजरीवाल ने हर मुददों पर जिस तरह की राजनीति की है बड़े बड़ों को पछाड़ दिया है। चुनाव आयोग से लेकर सभी पर सवाल भी खड़े कर दिये।
खाता न बही अरविंद ही सही आलाप ने रायता फैला रखा है
पहले तो उन्होंने लाभ का पद गलत तरीके से दिया और फिर चुनाव आयोग से लेकर पूरी व्यवस्था तक पर सवाल खड़ा करना शुरु कर दिया। ये आदत केजरीवाल से लेकर आम आदमी पार्टी की हो गई है। आलम ये है कि वे जनता और पत्रकारों को भी नहीं छोड़ते। बीजेपी और कांग्रेस का ये दावा है कि उन्होंने पैसा देकर टिकट बांटा है। ये आरोप सच्चे लगने लगे हैं। पंजाब से लेकर दिल्ली तक आप पार्टी ने काफी उम्मीद जगा कर रखी लेकिन खाता न बही अरविंद ही सही आलाप ने रायता फैला रखा है।
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कुछ ऐसा ही मामला साल 2006 में भी आया था जिसमें सोनिया गांधी को इस्तीफा देना पड़ा था जबकि केन्द्र में उनकी सरकार थी। ये अपने आप में बड़ी बात है। यहां तक की चुनाव आयोग ने उनकी सदस्यता तक रद्द कर दी थी। उस दौरान वो रायबरेली से सांसद थी उन्होंने इस्तीफा देकर दोबारा चुनाव लड़ा था। ये तब की बात है जब 2004 में अटल की सरकार जाने के बाद सोनिया मजबूती से उभरी थीं।
आम आदमी बनकर विश्वास जगाया था वो टूट चुका है
उस समय किसी ने भी आयोग पर सवाल नहीं उठाये। जया बच्चन के साथ भी कुछ ऐसा ही मामला हुआ था। तब किसी ने भी न तो चुनाव आयोग पर सवाल उठाया न किसी और पर लेकिन आम आदमी पार्टी ने तो आयोग से लेकर पीएम तक पर सवाल खड़े कर दिये। इतना ही नहीं आप पार्टी में अगर कोई बात नहीं माने तो आरोप लगा कर बाहर कर दिया जाता है। अपने ही साथियों को भी दरकिनार कर दिया है। कुमार के साथ साथ आशुतोष तक को किनारे कर दिया। आज आप पार्टी की ये हालत हो गयी है कि वो जनता की नजरों से पूरी तरह से उतर गई है। केजरीवाल ने लोगो को जो आम आदमी बनकर विश्वास जगाया था वो टूट चुका है।
(ये लेख चित्रा त्रिपाठी के फेसबुक लाइव वीडियो पर आधारित है)
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