6 साल पहले बनाया गौरैया कोलोनी, आज विश्वभर से जुड़ रहे हैं लोग
काशी में एक ऐसी जगह है जहां पर गौरैया के सरंक्षण को लेकर कार्य किया जा रहा है. वहीं इस छोटी पक्षी के लिये एक कोलोनी का भी निर्माण किया गया है. बता दें कि इस अनूठी पहल की शुरुआत व्यग्र फाउडेंशन और इसके संस्थापक अतुल पाण्डेय के द्वारा किया गया है. बता दें कि इस कोलोनी में इन पक्षियों की जरूरत की सारी चीजों का इंतजाम किया गया है. जल, अनाज एवं छांव की व्यवस्था है. गौरैया ककुनी नामक अनाज काफी चाव से खाती हैं, उसका भी भरपूर इंतजाम है.
Also Read : काशी आ रहे पीएम मोदी, करेंगे किसानों से संवाद
6 साल पहले की थी शुरुआत
व्यग्र फाउंडेशन की स्थापना 9 जून को वर्ष 2018 को की गई थी. संस्था के संस्थापक अतुल पाण्डेय ने बताया कि कुछ साथियों के साथ मिलकर उन्होंने व्यग्र फाउंडेशन की शुरुआत की. इस नाम के जरिए वह पर्यावरण संरक्षण के प्रति सबको जागरुक करना चाहते हैं. संस्था के सदस्यों ने तय किया कि अपने दोस्तों, रिश्तेदारों, परिचितों के साथ अन्य लोगों को भी अपने मुहिम में जोड़ेंगे. उनका उद्देश्य हर घर में गौरेया के दाना-पानी का इंतजाम कराना था. उन्होंने सबसे पहले गौरेया के संरक्षण की बात को लेकर तब कदम उठाया जब पिछले कुछ वर्षों से घर-घर में पाई जाने वाली यह चिड़िया अचानक से गायब होने लगी थीं.
अलग-अलग कार्यक्रमों में बांटते हैं घोसले
संस्था के सदस्यों ने गौरेया संरक्षण में सबको साथ जोड़ने के लिये एक नायाब तरीका निकाला है. इसके सदस्य जिसकी भी शादी, बर्थ डे, रिसेप्शन या अन्य कार्यक्रमों में जाते तो ऊपहार स्वरूप घोसला गिफ्ट के तौर पर बांटते हैं, ताकि अधिक से अधिक लोगों को इस पहल में शामिल किया जा सके. अतुल बताते हैं कि पिछले तीन सालों में इस तरह उन्होंने हजारों लोगों को यह तोहफा दिया है. इसके अलावा पूरी टीम समय-समय पर सामूहिक कार्यक्रमों और त्योहारों पर भी गौरेया संरक्षण के प्रति जागरुक करने का काम करती है. नवरात्रि में कन्या पूजन के दौरान संस्था के सदस्य अपने जानने वालों के घर जाते हैं और बच्चों को घोसला गिफ्ट करके उनसे गौरेया संरक्षण का संकल्प दिलाते हैं. उनका यह प्रयास केवल शहर भर में सीमित नहीं रह गया है बल्कि देश समेत विदेशों से आए लोग भी इस पहल से जुड़ रहे हैं.
तमाम हस्तियां भी जुड़ी हैं संस्था की इस पहल से
अतुल ने बताया कि काशी से शुरु हुई इस मुहिम में अब केवल शहर के लोग नहीं बल्कि देश-विदेश से भी लोग जुड़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनकी इस मुहिम से अनुराग ठाकुर, धर्मेंद्र प्रधान, अजय मिश्रा टेनी, सुब्रत पाठक, ओम माथुर, अन्नपूर्णा सिंह, इंडोनेशिया के महात्मा गांधी कहे जाने वाले पद्मश्री इंद्र उदयन, पद्मश्री प्रहलाद सिंह, अभिनेता सिद्धांत चतुर्वेदी, अभिनेत्री सनी लियोन समेत तमाम लोग जुड़े हैं.
संस्था का लक्ष्य अधिक से अधिक बच्चों को जोड़ना
उन्होंने बताया कि इस वर्ष संस्था का मुख्य उद्देश्य है कि अधिक से अधिक संख्या में बच्चों को जागरुक करने के साथ ही उन्हें संस्था से जोड़ा जाए. बच्चे देश के भविष्य हैं और उन्हें जागरुक करने से उनकी पहल को मजबूती मिलेगी. इसके लिये वह विभिन्न बर्थडे पार्टी में जा कर बच्चों को घोसला भेंट में देने का काम कर रहे हैं. वहां गौरैया सरंक्षण का पाठ पढ़ाया जाता है. संस्था की तरफ से लगातार जागरुकता फैलाने व घोसले वितरित किये जाते हैं. उन्होंने बताया कि अभीतक 55,000 से अधिक घोसलों को बांटा जा चुका है.
पर्यावरण के लिये भी होती है उपयोगी
गौरैया को किसान मित्र के नाम से भी जाना जाता है. एक स्टडी के अनुसार जिन कीट-पतंगों को गौरैया खाती है उसमें 90 प्रतिशत से अधिक वह प्रजाति होती है जो कि खेत को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं. पहले के समय में गौरैया के घोसले कई घरों में दिख जाते थे. हालांकि अब ऐसा कुछ ही घरों में देखने को मिलता है. वहीं इसके सरंक्षण के लिये डोर टू डोर कैंपेन के अलावा सोशल मीडिया का भी उपयोग किया जा रहा है. अतुल पाण्डेय ने बताया कि संस्था की सोशल मीडिया में मुहिम के कारण गर्मी के मौसम में लोगें के बीच सोशल अवेयरनेस बढ़ी है. मैं भी पक्षी हूं, पक्षियों के लिये पानी की उपलब्धता जैसे पोस्ट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल होते हैं. खासकर युवा वर्ग द्वारा एसे पोस्ट को शेयर किया जाता है. वहीं बताया कि संस्था आगे भी लोगो को जागरुक करने का प्रयास करती रहेगी.