रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से झटका ! योग शिविर के लिए देना होगा टैक्स

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नई दिल्ली: योग गुरु बाबा रामदेव के गृह- नक्षत्र आजकल ख़राब चल रहे है. रामदेव को आज एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झट्का लगा है. कोर्ट ने कहा कि अब बाबा रामदेव को योग शिविर के लिए सर्विस टैक्स देना होगा.बता दें कि कोर्ट ने इलाहाबाद कोर्ट के आदेश पर हस्तरक्षेप करने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट अपने आवासीय और गैर आवासीय पर सेवा कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है क्यूंकि वह योग शिवरों में प्रवेश शुल्क लेता है.

CESTAT ने योग कार्यक्रम को स्वास्थ्य कैटेगरी में डाला…

पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति ए एस ओका और उज्जवल भुंइया की पीठ ने कहा कि CESTAT ने योग कार्यक्रम को स्वास्थ्य कैटेगरी में दाल कर ठीक किया था. इतना ही नहीं CESTAT ने यह भी ख़ारिज कर दिया कि ट्रस्ट को जो योग शिविरों से धन मिलता है वह दान है.

ट्रस्ट दान लेता है फीस नहीं

CESTAT के समक्ष बहस करते हुए ट्रस्ट ने कहा कि योग कार्यक्रमों में भाग लेने वाली प्रतिभागियों से ट्रस्ट दान लेता है फीस नहीं. ट्रस्ट ने कहा कि उसकी गतिविधियां- स्वास्थ्य और फिटनेस सेवाओं की कैटेगरी के तहत टैक्स वाली नहीं है.क्यूंकि इसका शारीरिक फिटनेस केलिए योग है न कि उपचार उद्देश्य के लिए.

CESTAT ने सही माना 1994 का अधिनियम…

ट्रस्ट की अपील को ख़ारिज करते हुए CESTAT ने वित्त अधिनियम 1994 में ” स्वास्थ्य और फिटनेस सेवा” की परिभाषा को सही माना. कहा गया है कि अधिनियम में सॉना , भाप स्नान,तुर्की सनान, सोलारियम, स्पा, बॉडी को फिट करने या सलून व्यामशाला, योग, ध्यान के लिए सेवा लिखा.

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पतंजलि ने CESTAT से किया था संपर्क…

बता दें कि पतंजलि ने सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क मेरठ आयुक्त के अक्टूबर 2012 के आदेश को चुनौती देने के लिए CESTAT से संपर्क किया था. जिसमे करीब 5 करोड़ रुपये सर्विस टैक्स और ितन्हि ही जुर्माने की राशि की मांग की गई थी.

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