अगर इतने वोट मिल जाते हो ‘मामा’ के हाथ होती एमपी की कमान

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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम में बीजेपी कांटे की टक्कर देते हुए 7 सीटों से पिछड़ गई और 109 पर ही सिमट गई। इस तरह शिवराज सिंह चौहान चौथी बार सीएम बनने से चूक गए, लेकिन दिलचस्प यह है कि अगर बीजेपी को 4337 वोट मिल जाते तो ये 7 सीटें भी बीजेपी के खाते में जुड़ जातीं और बहुमत (116) का आंकड़ा पार कर जाती।

चुनाव आयोग के आंकड़ों पर गौर करें तो बीजेपी सिर्फ 4337 वोट से ही पीछे रह गई। जिन 7 सीटों पर बीजेपी को नुकसान हुआ, वहां हार का अंतर 1000 वोटों से भी कम है। मध्य प्रदेश चुनाव में बहुमत के लिए 116 सीटें चाहिए थीं जबकि बीजेपी ने जीती 109। चुनाव आयोग के अनुसार, मध्य प्रदेश में 10 सीटें ऐसी थीं जहां जीत का अंतर हजार से भी कम था।

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कुल मिलाकर अगर बीजेपी को 4337 वोट अधिक मिले होते तो बीजेपी इन 7 सीटों पर जीतने में कामयाब हो सकती थी। इन 7 सीटों में सबसे कम अंतर ग्वालियर दक्षिण सीट पर रहा जहां कांग्रेस के उम्मीदवार प्रवीण पाठक ने बीजेपी के नारायण सिंह कुशवाहा को सिर्फ 121 वोटों से हराया। वहीं मालवा क्षेत्र के मंदसौर जिले के सुवासरा सीट पर कांग्रेस के दंग हरदीप सिंह ने बीजेपी के राधेश्याम नानालाल पाटीदार को 350 वोटों से हराया।

ब्यावरा में कांग्रेस के गोरवर्धन दंगी ने बीजेपी के नारायण सिंह पंवर को 826 वोटों से हराया। दमोह में कांग्रेस के राहुल सिंह ने बीजेपी के जयंत मलैया से 798 वोटों से बाजी मारी। जबलपुर उत्तर में कांग्रेस के विनय सक्सेना ने बीजेपी के शरद जैन को 578 वोटों से हराया। राजनगर में कांग्रेस के विक्रम सिंह ने बीजेपी के अरविंद पटेरिया को 732 सीटों से हराया। राजपुर में कांग्रेस के बाला बच्चन ने बीजेपी के देवी सिंह पटेल के खिलाफ 932 वोटों से जीत दर्ज की। कुल मिलाकर 4337 वोटों ने बड़ा सियासी खेल किया।

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