जल्द अपने देश लौटेगा शिवा जी का ‘बाघ नख’, जानिए भारत से लंदन पहुंचने के पीछे क्या है इतिहास …

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‘बाघ नख’ …..छत्रपति शिवाजी महाराज का सबसे खास हथियारों में से एक माना जाता था। हमारे शान स्वरूप ये बाघ नख इन दिनों लंदन के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूजियम में है, लेकिन अब बहुत जल्द ये बाघ नख अपने देश में वापस आने वाला है। यह वही बाघ नख है जिससे शिवाजी ने 6.7 फीट के दुश्मन अफजल खान को इसी बाघ नख के जरिए मौत के घाट उतारा था। लेकिन इतिहास की किन्ही घटनाओ की वजह से हमारे देश का गौरव लंदन के म्यूजियम की शोभा बढा रहा है, लेकिन अब यूनाइटेड किंगडम के अधिकारियों ने वो ‘बाघ नख’ लौटाने के आग्रह को स्वीकार कर उसे लौटाने की अनुमति दे दी है।

महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार की पहल का ही ये असर है कि, सालों बाद शिवाजी काल का यह विशेष हथियार अब अपने देश वापस आने वाला है। आपकों बता दें कि, ‘बाघ नख’ को वापस पाने के लिए सांस्कृतिक मामलों के मंत्री, विभाग प्रमुख सचिव, निदेशक, पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय के प्रतिनिधिमंडल ने लंदन में विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय और अन्य संग्रहालयों का दौरा किया था और वहां इसको लेकर एक समझौता किया गया था।

छत्रपति शिवाजी महाराज के ‘बाघ नख’ को इतिहास का अमूल्य खजाना माना जाता है और इससे राज्य के लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। बाघ के पंजे के डिजाइन में बने इस विशेष हथियार ‘बाघ नख’ को ब्रिटेन से देश वापस लाने की प्रकिया चल रही है। लेकिन अब बडा सवाल ये भी है कि, बाघ नख होता क्या है और हमारे देश का गौरव कैसे बना लंदन के म्यूजियम की शोभा ?आइए जानते है विस्तार से …

क्या होता है बाघ नख ?

बाघ नख स्टील का बना एक हथियार है जिसमें बाघ के पंजों के नाखून की तरह नुकीली छड़ें लगी होती हैं। यह व्यक्ति के हाथ की मुट्टी में फिट बैठ जाता है। इसके दोनों तरफ रिंग होता है जिसे हाथ की पहली और चौथी उंगली में पहन लिया जाता है। इससे यह हाथ में फिट बैठ जाता है, इसके बाद हमला करने पर यह सामने वाले व्यक्ति को लहूलुहान कर देता है। इससे किसी की हत्या भी की जा सकती है। बताया जाता है कि वीर शिवाजी अपनी सुरक्षा के लिए इस विशेष हथियार को हमेशा अपने साथ रखा करते थे।

बाघ नख की कहानी

शिवाजी के जीवन पर लिखी गई किताब ‘शिवाजी एंड हिज टाइम्स’ के अनुसार, यह बात है साल 1659 की जब बीजापुर सल्तनत के राजा आदिल शाह ने अफजाल खान को गुलामी स्वीकार करवाने के लिए शिवाजी के पास भेजा था, इस मुलाकात के लिए शिवा जी अपने मंत्री मंडल को दो वफादर लोगो के साथ पहुंचा था । वही अफजाल संधि करने के लिए अपने साथ पांच और लोगो को लेकर आया था।

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शिवाजी को अफजाल खान की मंशा पर पहले से ही शक था और वो पूरी तैयारी करके आए थे। अफजाल खान ने गले लगाने के बहाने शिवाजी की हत्या करने की कोशिश की, हालांकि शिवाजी ऐसे किसी संभावित हमले को लेकर पहले से ही सावधान थे। जैसे ही अफजाल ने गले लगाने के बहाने शिवाजी पर वार किया, शिवाजी ने फौरन अपना विशेष हथियार बाघ नख निकाला और अफजाल खान को मौत के घाट उतार दिया।

भारत से लंदन कैसे पहुंचा शिवाजी का बाघ नख

ऐसा दावा किया जाता है कि बाघ के पंजों की तरह दिखने वाला खंजर खास तौर से पहली बार शिवाजी के लिए ही तैयार कराया गया था, ताकि ये उनकी मुट्ठी में ठीक तरह से फिट हो सके। यह इतना धारदार था जिससे एक ही झटके में ये दुश्मन को चीर सकता है। शिवाजी महाराज का बाघ नख मराठा साम्राज्य की राजधानी सतारा में था। अंग्रेजों के भारत आने के बाद मराठा पेशवा के प्रधानमंत्री ने 1818 में ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी जेम्स ग्रांट डफ को भेंट किया था। 1824 में डफ वापस इंग्लैंड वापस गए और अपने साथ बाघ नख को भी ले गए, बाद में उन्होंने इसे लंदन की विक्टोरिया और अल्बर्ट म्यूजियम को दान कर दिया था।

बाघ नख के बाद भारत वापस आएगी जगदंबा तलवार

बाघ नख को वापस लाने का समझौता पत्र साइन करने के अलावा अधिकारी शिवाजी की जगदंबा तलवार भी वापस लाने का प्रयास कर रहे हैं जो यूके के एक म्यूजियम में रखी है. वाघ नख किस तिथि को वापस लाया जाएगा इसके लिए वो तारीख चुनी जा सकती है जिस दिन अफजल खान को मारा गया था. दरअसल अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से यह तारीख 10 नवंबर हैं, लेकिन महाराष्ट्र के कल्चर डिपार्टमेंट के अधिकारियों के मुताबिक हिंदू कैलेंडर के हिसाब से तिथि का पता लगाया जा रहा है, उसी दिन इसे वापस लाया जा सकता है।

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