Sheetla Saptami 2024: शीतला सप्तमी आज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
जानें आखिर क्यों लगाया जाता है माता शीतला को बासी खाने का भोग ?
Sheetla Saptami 2024: आज शीतला सप्तमी का त्यौहार मनाया जा रहा है. यह त्यौहार होली के सात दिन बाद मनाया जाता है. इसे शीलता सप्तमी के अलावा बसौड़ा भी कहा जाता है. इस दिन माता शीतला की विशेष तौर पर पूजा की जाती है.सनातन धर्म में माता शीतला को सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाली देवी के रूप में पूजी जाती हैं. यह दिन है जब माता शीतला को बासी खाना खिलाया जाता है. मां शीतला को ठंडक देने वाली देवी भी कहा जाता है. कहते हैं कि इनकी उपासना से भी स्वास्थ्य लाभ मिलता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की सप्तमी तिथि को शीतला सप्तमी का व्रत रखा जाता है. इस साल यह पर्व आज यानी 1 अप्रैल सोमवार को मनाया जा रहा है.
शुभ मुहूर्त
इस वर्ष चैत्र माह की सप्तमी तिथि 31 मार्च को रात 9 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी और 1 अप्रैल को रात 9 बजकर 9 मिनट पर समाप्त होगी. इसके बाद शीतला अष्टमी शुरू होगी और 2 अप्रैल को 8 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होगी, इसलिए बसौड़ा पूजा 2 अप्रैल 2024 को होगी जैसा कि तिथि निर्धारित है.
शीतला सप्तमी की पूजन विधि
शीतला सप्तमी के दिन सुबह उठकर ठंडे पानी से स्नान करें और शीतला सप्तमी के दिन माता शीतला का आशीर्वाद पाने के लिए व्रत करने का निश्चय करें. शीतला माता के मंदिर में जाकर उन्हें शुद्ध जल अर्पित कर माता शीतला का पूजन करें, फिर देवी को बासी भोजन दें. आप भी गुड़ से बनी सामग्री और मीठे चावल खा सकते हैं क्योंकि माता शीतला इनसे बहुत प्यार करती हैं. अब देवी को लाल फूल अर्पित करें, धूसर प्रकाश दिखाएं और चने का दाल और श्रीफल चढ़ाएं.
शीतला सप्तमी विधान
शीतला माता को चढ़ाने के लिए चने की दाल को एक दिन पहले रात को पानी में भिगोकर रखें. ध्यान रखें कि शीतला माता को हमेशा ठंडा भोजन चढ़ाया जाता है, इसलिए भोजन को एक रात पहले तैयार कर लें. पूजा के बाद शीतला माता की कहानी सुननी चाहिए. जब आप घर आते हैं, अपने मुख्य द्वार पर हल्दी से पांच बार हाथ का छाप लगाएं.
शीतला सप्तमी व्रत से मिलने वाले लाभ
शीतला सप्तमी के दिन व्रत रखने से परिवार में सभी लोग चेचक, बुखार, फोड़े-फुंसी और आंखों की बीमारी से बच जाते हैं. आज लोग विशेष रूप से विभिन्न रोगों से छुटकारा पाने के लिए व्रत रखते हैं. आज माँ शीतला माता व्रत जरूर रखती हैं ताकि उनके बच्चे स्वस्थ रहें. इसके अलावा, शादीशुदा महिलाएं आज के व्रत रखकर शीतला माता से अखंड सौभाग्य का वरदान पा सकती हैं.
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शीतला माता को बासी भोजन क्यों देते हैं ?
मान्यता है कि, शीतला अष्टमी के साथ ही सर्दियों के मौसम का अंत हो जाता है और गर्मी के मौसम की शुरूआत हो जाती है. इसे सर्दी का आखरी दिन भी कहा जाता है. ऐसे में इस दिन शीतला माता को बासी खाना खाने की परंपरा है. इसके बावजूद, भोग लगाने के बाद बासी खाना खाना गलत नहीं माना जाता है. कहा जाता है कि शीतला माता को बासी खाना देने से वे खुश होती हैं और व्यक्ति को स्वस्थ रहने का आशीर्वाद देती हैं। शीतला सप्तमी की पूजा करने से गर्मी के मौसम में अधिकांश लोग बुखार, फुंसी, फोड़े और नेत्र रोगों से बच सकते हैं.