काशी में बोले शंकराचार्य, भारत जल्द बनेगा हिंदू राष्ट्र
भारत के हिंदू राष्ट्र बनने पर ही विश्व का होगा कल्याण
गोवर्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि भारत के हिंदू राष्ट्र बनने पर ही विश्व का कल्याण होगा. उन्होंने विश्वास दिलाया कि भारत जल्द ही हिंदू राष्ट्र हो जाएगा. शंकराचार्य के पांच दिवसीय काशी प्रवास का शुक्रवार को आखिरी दिन था.
Also Read : जौनपुर नगर पालिका के दो कर्मचारी 1.65 लाख घूस लेते गिरफ्तार
कमच्छा क्षेत्र के बैजनत्था स्थित मठ में शंकराचार्य श्रद्धालुओं की जिज्ञासाओं का समाधान कर रहे थे. उन्होंने कहा कि हमारे यहां से हिंदू राष्ट्र भारत की जय है यह हम मान के चलते हैं. गौ हत्या के लिए वह प्रकल्प करना चाहिए जो अंदर से चल रहा है.
राजनेता राजनीति की परिभाषा से परिचित नही
शंकराचार्य ने कहाकि राजनेताओं को राजनीति की सही परिभाषा जाननी चाहिए. देश में राजनेताओं की कमी नहीं है लेकिन वह राजनीति की परिभाषा से भी परिचित नहीं हैं. सुसंस्कृत, सुव्यवस्थित, सुरक्षित, समृद्ध व्यक्ति व समाज की रचना, राजनीति की परिभाषा है. उन्माद व सत्ता लोलुपता का नाम नहीं है राजनीति.
धार्मिक क्षेत्र को नहीं बनाना चाहिए पर्यटन केन्द्र
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि किसी धार्मिक क्षेत्र को पर्यटन केंद्र नहीं बनाया जाता. वह धार्मिक क्षेत्र ही रहना चाहिए. कहा कि काशी को जिस तरह से पर्यटन केंद्र बनाया जा रहा है उसे वह काशी नहीं रह जाएगी. आज के समय में जनता भी तपोस्थली को पर्यटन केंद्र के रूप में देखना चाहती है. उन्होंने कहा कि लोगों को इस पर सोचना चाहिए. मैं उदाहरण के तौर पर बताना चाहता हूं कि मेरे बाद का प्रभाव जैनों पर पड़ गया. उन्होंने कहा कि पार्श्वनाथ मंदिर को पर्यटन केंद्र घोषित किया गया. इस पर उन्होंने बड़ा विरोध किया. अंत में शासन को अपना फैसला वापस लेना पड़ा. इसका अर्थ है कि जैन बुद्धिमान निकले.
पीएम रामलला को सेकुलर के रूप में सिद्ध करना चाहते हैं तो उचित नही
शंकराचार्य ने अयोध्या मामले में कहाकि मैंने बोला था कि अयोध्या में रामलाल प्रतिष्ठित हो रहे हैं. 500 वर्षों से जो काम रुका था वह हो रहा है अच्छी बात है. लेकिन शास्त्रीय मर्यादा का उल्लंघन भी नहीं करना चाहिए. जिनके द्वारा प्रतिष्ठित होना आवश्यक हो उन्हीं के द्वारा प्रतिष्ठित होना चाहिए. अगर प्रधानमंत्री रामलला को सेकुलर के रूप में सिद्ध करना चाहते हैं यह उचित नहीं है.