पंचकोसी यात्रा बाद में, पहले रामलला के दर्शन करें राहुल : शलभ मणि त्रिपाठी
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि भगवा आंतकवाद का फर्जी शब्द गढ कर भारत के बहुसंख्यक समाज के प्रति नफरत पैदा करने की कोशिश करने वाली, बेगुनाह साध्वी प्रज्ञा को आंतकवाद के झूठे केस में फंसाकर भारत के साधु संतो को अपमानित करने वाली कांग्रेस है। आंतकवादियों के खिलाफ कई बडे आपरेशन करने वाले कर्नल पुराहित को उल्टे आंतकवाद के झूठे केस में फंसाकर सेना का मनोबल गिराने वाली, हिन्दुओं की आध्यात्मिक आस्था के केन्द्र रामसेतु के मुद्दे पर प्रभुराम को काल्पनिक बताने वाली कांग्रेस पार्टी अब पंचकोसी परिक्रमा का नाटक कर रही है।
बहुसंख्यक समाज कांग्रेस को कभी माफ नहीं करेगा
भारत की जनता बहुसंख्यक समाज और हिन्दु आस्थाओं से खिलवाड़ करने वाली, कांग्रेस पार्टी के पाप को कभी माफ नहीं करने वाली। कांग्रेस पार्टी हमेशा उस समाजवादी पार्टी के साथ खड़ी रही जिसने सपा सरकार में सैंकडों सालो से चली आ रही सनातन पंचकोसी परिक्रमा करने पर साधु संतो को बेरहमी से पिटवाया था। ऐसे में पंचकोसी परिक्रमा का नाटक करने से पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जी को अयोध्या जाकर प्रभुराम लला का दर्शन करना चाहिए और उनसे माफी मांगनी चाहिए।
कांग्रेस ने कहा प्रभुराम और रामसेतु काल्पनिक
प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि किसे याद नहीं है कि वोट बैंक की राजनीति के लिए कांग्रेस ने न सिर्फ हिन्दू आस्थाओं पर चोट की बल्कि लादेन और हाफिज सईद जैसे आंतकवादियों को सम्मानपूर्वक सम्बोधित कर उनका महिमा मंडन किया। देश और दुनिया के बहुसंख्यक समाज के लोग जब प्रभु राम लला के जन्मस्थान पर भव्य राम मन्दिर बनाये जाने की लड़ाई लडते रहे तब कांग्रेस खुलेआम मंदिर का विरोध करती रही। और तो और कांग्रेस सरकार में ही रामसेतु तोड़ने तक के प्रयास शुरू कर दिये गए। अदालत को कांग्रेस ने खुलकर कहा की प्रभुराम और रामसेतु काल्पनिक है।
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अयोध्या के दीपोत्सव आयोजन को दुनिया ने सराहा
प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्य नाथ जी की अगुवाई में लोकप्रिय सरकार बनने के बाद जब अयोध्या में दीपोत्सव का भव्य आयोजन हुआ तब पूरी दुनिया में इसे सराहा गया। पर काग्रेस पार्टी इस अद्भुत और ऐतिहासिक आयोजन भी का विरोध करती रही। ऐसे में कांग्रेस अगर पंचकोसी परिक्रमा निकालने पर मजबूर हुई है। तब से देश के बहुसंख्यक समाज और उनकी भावनाओं की ही जीत है।