बनारस पर भारी पड़ रही है बीएचयू की ‘बदइंतजामी’, पत्रकार की मौत से फिर उठे सवाल

0

वाराणसी। बनारस दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार राकेश चतुर्वेदी अब इस दुनिया में नहीं रहे। पत्रकार बिरादरी का एक जिंदादिल इंसान कोरोना की जंग हार गया। विश्वास कर पाना मुश्किल है लेकिन अब यही हकीकत है। राकेश चतुर्वेदी कुछ इस तरह दुनिया से रुखसत होंगे, ये किसी ने सोचा भी नहीं था। उनकी मौत अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई है ? जिसका जवाब आज हर कलमकार मांग रहा है। कोरोना की जंग में अपनी जान की परवाह किए बगैर एक-एक खबर लोगों तक पहुंचाने वाले पत्रकार, आखिर कब तक यूं ही दम तोड़ते रहेंगे ?

पूरे देश में दर्जनभर से अधिक पत्रकारों की हो चुकी मौत

कोराना काल में अब तक, पूरे देश में दर्जनभर से अधिक पत्रकारों की मौत हो चुकी है। लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। सरकार के पास संवेदना के नाम पर जमापूंजी सिर्फ चार शब्द होते है। पत्रकार राकेश चतुर्वेदी की मौत, कहने को तो कोरोना संक्रमण से हुई है। लेकिन हकीकत ये है कि लापरवारी और लाचारी के गठजोड़ ने राकेश चतुर्वेदी को बेमौत मार दिया। कोविड पॉजिटिव पाए जाने के बाद राकेश चतुर्वेदी को पहले शिव प्रसाद गुप्त अस्पताल में लाया गया। हालत बिगड़ने लगी तो डॉक्टरों ने उन्हें बीएचयू रेफर कर दिया। और यहीं से शुरू होती है लापरवाही की दास्तां। बताते हैं कि अस्पताल के बाहर राकेश चतुर्वेदी की सांसें उखड़ती जा रही थी। परेशान परिजन इधर-उधर भटक रहे थे। लेकिन सुनने वाला कोई नहीं। जैसे-तैसे अस्पताल में भर्ती हुए लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। कुछ लोग दबे जुबान से बता रहे हैं कि राकेश चतुर्वेदी का ऑक्सीजन लेवल काफी कम गया था, अगर समय रहते उन्हें वेंटिलेटर मिल गया होता तो शायद जान बच गई होती।

बीएचयू अस्पताल में चल रहा था राकेश चतुर्वेदी का इलाज

राकेश चतुर्वेदी का इलाज कोविड के एल 3 अस्पताल बीएचयू में हो रहा था, जहां इलाज में लापरवाही की खबरें पहले भी आती रही। राकेश चतुर्वेदी के साथ काम कर चुके हिमांशु शर्मा कहते हैं कि “राकेश जी हम लोगों के बहुत हो अजीज थे। दुःख इस बात है कि हम उन्हें बचा नहीं पाए। हम लोग पेशे से पत्रकार हैं। उनको सांस लेने में तकलीफ थी। बहुत मशक्कत के बाद से उनको हॉस्पिटलाइज़ कराया गया।‘’ दूसरी ओर बीएचयू के कुलपति प्रोफ़ेसर राकेश भटनागर के मुताबिक “बनारस हिन्दू यूनिवर्सिसिटी एल 3 हॉस्पिटल है जिसको हमारा इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज चलाता है। हमारी पूरी कोशिश होती है कि यहां भर्ती हुये मरीजों को पूरी सुविधाएं दे। हमारे मेडिकल सुपरिटेंडेंट नोडल आफिसर, डॉक्टर और रेजिडेंट सभी समय काम कर रहे हैं। हम खुद इन्शयोर करते हैं कि सबसे अच्छी सुविधाएं हम दे सकें।

वाराणसी में कोरोना का कहर

फिलहाल वाराणसी में कोरोना के 3924 मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें से 2068 मरीज ठीक हो चुके हैं जबकि 1781 मरीज एक्टिव हैं। कोरोना पेशेंट के इलाजे की सबसे बड़ी जिम्मेदारी बीएचयू पर है। गंभीर रुप से बीमार मरीजों को बीएचयू में भर्ती कराने की व्यवस्था है। लेकिन अधिकतर मरीजों की शिकायत ये है कि बीएचयू अस्पताल में डॉक्टर समय से एडमिट नहीं लेते। यही नहीं अस्पताल के अंदर के हालात भी बेहद भयावह है। पिछले दिनों बीएचूय में भर्ती एक तारांकित होटल के मैनेजर और हरिश्चंद्र डिग्री कॉलेज के पूर्व छात्र नेता की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। इन दोनों ही मरीजों ने मरने से पहले बीएचयू अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही के संगीन आरोप लगाए थे। दरअसल मरीजों की मौत के सबसे अधिक मामले बीएचयू से ही आ रहे हैं। आलम ये है कि अब तक 75 लोगों की मौत हो चुकी है। मौत का ये आंकड़ा देश के दूसरे शहरों की अपेक्षा बनारस में कहीं अधिक है। यही कारण है कि पिछले दिनों जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समीक्षा बैठक के लिए बनारस पहुंचे थे तो उन्होंने बीएचयू अस्पताल प्रशासन और जिला प्रशासन के बीच समन्वय बनाकर काम करने के निर्देश दिए थे।

यह भी पढ़ें: कंडोम का इतिहास : आदि मानव भी करते थे इस्तेमाल ? इन चीजों से बनाया जाता था निरोध

यह भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश में होगा देश का पहला नियमित विधानसभा सत्र

यह भी पढ़ें: 8 अगस्त को कोविड-19 अस्पताल का उद्घाटन करेंगे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हेलो एप्पडेलीहंट या शेयरचैट इस्तेमाल करते हैं तो हमसे जुड़ें।)
Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More