लो…..अबकी बार कान्हा हो गये बुलडोजर पर सवार………….

खिलौनों की दुकानों पर बिक रहीं लकड़ी और प्लास्टिक के बुलडोजर पर विराजे भगवान कृष्ण की मूर्तियां

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द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लिया और मानवता के लिए आध्यात्मिक और नैतिक मार्गदर्शन किया. उनकी अनेक लीलाओं का आज भी मंचन और फिल्मांकन होता है. बदलते वक्त के साथ कृष्ण के अलग-अलग रूप और लीलाएं देखने को मिल रही है. कभी कालिया नाग पर बंसी बजाते कृष्ण तो कही गायों को चराते और बंसी बजाते श्रीकृष्ण, लेकिन इस समय इलेक्ट्रॉनिक युग में भक्त अपने भगवान को किसी भी चीज पर सवार करा दे रहे हैं. इस बार भगवान श्रीकृष्णा बुलडोजर पर सवार होकर आ रहे हैं, जिसकी बाजार में काफी डिमांड है.

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वही इस बार नंद गोपाल बुलडोजर वाली पालकी में सवार होकर भक्तों को दर्शन देंगे. साथ ही कान्हा- राधा संग काशी की गलियों में स्कूटी से घूमते नजर आ रहे हैं. वाराणसी के अलग-अलग बाजारों में कृष्ण जन्माष्टमी के लिए सजे स्टालों पर अलग-अलग रूप रंग के कान्हा की अठखेलियां देखने को मिल रही है.

माताएं अपने बच्चों को कान्हा और राधा के रूप में सजाने के लिए कर रही खरीददारी

25 और 26 अगस्त को जन्माष्टमी पर हर कोई अपने बच्चे को कान्हा और राधा के रूप में सजाने में कसर नहीं छोड़ना चाहता. जिसको लेकर बाजारों में जमकर वस्त्रों की भी खरीदारी हो रही है. वाराणसी के काष्ठ कलाकारों ने पहली बार लकड़ी से खास पालकी को तैयार किया है, जिसकी डिमांड देश के अलग-अलग राज्यों के अलावा विदेशों तक देखने को मिल रही है. बुलडोजर अब लकड़ी और प्लास्टिक के खिलौनों की दुनिया में भी ब्रांड बनकर उभरा है. इस बार श्रीकृष्ण जन्मोत्सव में सजने वाली झांकी में बुलडोजर पर सवार श्रीकृष्ण की मूर्ति की जबरदस्त मांग है. देश के विभिन्न राज्यों के अलावा अमेरिका और यूरोपीय देशों से भी इस बार ऑर्डर आए हैं. लंका स्थित रविदास गेट के पास जन्माष्टमी पर खिलौने की दुकान लगाने वाले सोनू सोनकर ने बताया कि इस बार भगवान कृष्ण को बुलडोजर पर दिखाने की ज्यादा डिमांड हो रही है.

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मारपंखी, झालर, झूलों से अटा पड़ा बाजार

प्राकृतिक रंगों से तैयार लकड़ी के लड्डू-गोपाल, पालना, पंखा, सजावटी झालर शिल्पियों के हुनर के बेजोड़ नमूने हमारी दुकान पर उपलब्ध हैं. उन्होंने बताया कि लकड़ी के खिलौना में बुलडोजर पर सवार श्रीकृष्ण के खिलौनों की डिमांड है. इसे बनाने में काफी समय और कास्ट गिरता है. वो बड़ा वाला मोरपंख दिखाना…अरे, वो पीली पोशाक दिखाइए…और वो झूला कितने का है… कुछ ऐसे ही नजारे बाजार में दिन भर दिखे. जन्माष्टमी से एक दिन पहले बाजार में खरीदारों की भीड़ जुटी रही. मोरपंख से सजे मुकुट, जरदोजी से सजी मखमली पोशाक, कीमती रत्नों की तरह दमकते तिलक, कुंडल, मनोहारी मुरली, सुहाने झूले और भी बहुत कुछ….मुरली मनोहर के इस साज-शृंगार के सामानों को देख हर किसी का मन उन्हें खरीदने का कर रहा था. अपने-अपने लड्डू गोपाल, कान्हा को सजाने के लिए हर लोग खरीदारी करते दिखे. माताएं अपने बच्चों को कान्हा और राधा के रूप में सजाने के लिए अलग-अलग पोशाक खरीद रही हैं. मखमली पोशाक की खूब मांग है. जिसको लेकर बाजारों में काफी भीड़ दिख रही है. वहीं बात की जाए पिछली बार की खरीददारी की अपेक्षा इस बार सभी सामानों में 5 से लेकर 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.

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