सेबी ने अनिल अंबानी पर लगाया पांच साल का बैन, जानें क्या है मामला ?

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मार्केट रेगुलेटर सेबी ने देश के दिग्गज और मशहूर बिजनेस मैन अनिल अंबानी को बड़ा झटका दिया है. सेबी ने अनिल अंबानी पर पांच साल का बैन लगा दिया है. इस बैन में अनिल अंबनी के अलावा 24 अन्य एंटिटीज को भी बैन किया गया है. सेबी ने इन सब पर कार्रवाई करते हुए सभी को सिक्योरिटी मार्केट में प्रतिबंधित कर दिया है. इतना ही नहीं सेबी ने इन सभी पर 25 करोड़ का जुर्माना भी लगाया है. सेबी की इस कार्रवाई के बाद अब अनिल अंबानी सिक्योरिटी मार्केट में हिस्सा नहीं ले पाएंगे. साथ ही सेबी ने अनिल की कंपनी रिलायंस होम फाइनेंस पर भी 6 लाख का जुर्माना लगाने के साथ ही 6 महीने के लिए कंपनी को प्रतिबंधित कर दिया है.

अनिल अंबानी पर क्यों लगा बैन ?

दरअसल, अनिल अंबानी पर सेबी की यह कार्रवाई फंड डायवर्जन के आरोप के चलते की गई है. इसके आधार पर सेबी अनिल अंबानी पर 25 करोड़ का जुर्माना और पांच साल के लिए सिक्योरिटी मार्केट से प्रतिबंधित कर दिया है. अनिल अंबानी पर लगी रोक के चलते किसी भी लिस्टेड कंपनी या बाजार नियामक के साथ रजिस्टर्ड किसी भी जरिए से सीधा या प्रमुख प्रबंधकीय पसनेल के रूप में सिक्योरिटी मार्केट से नहीं जुड़ पाएंगे.

रिलायंस पावर के शेयरों को जोरदार झटका

वहीं सेबी की इस कार्रवाई के बाद अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर के शेयरों को जोरदार झटका लगा है. दोपहर के 12 बजे अचानक से रिलायंस पावर के शेयर 5 फीसदी तक गिर गए हैं. गौरतलब है कि बीते तीन दिनों से रिलायंस पावर के शेयरों में लगातार तेजी दर्ज की जा रही थी, लेकिन सेबी के इस फैसले ने रिलायंस पावर के शेयर पर गहरा असर डाला है. इस कार्रवाई के चलते कंपनी के शेयर तेजी से धड़ाम हुए हैं और इस गिरावट में इजाफा भी हो सकता है.

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जानें क्या है पूरा मामला ?

इसको लेकर सेबी ने 22 पन्नों का अंतिम आदेश जारी किया है. इसमें सेबी द्वारा कहा गया है कि ”अनिल अंबानी ने आरएचएफएल के प्रमुख प्रबंधकीय कर्मियों की मदद से आरएचएफएल से फंड निकालने के लिए एक धोखाधड़ी योजना बनाई थी, जिसमें उन्होंने अपने से जुड़ी संस्थाओं को लोन के रूप में छिपाकर रखा था. हालांकि आरएचएफएल के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने इस तरह के लोन देने के तरीकों को रोकने के लिए सख्त निर्देश जारी किए थे. साथ ही नियमित रूप से कॉर्पोरेट लोन की जांच की थी, लेकिन कंपनी के मैनेजमेंट ने इन आदेशों को नजरअंदाज किया. इससे पता चलता है कि शासन में महत्वपूर्ण विफलता है, जो अनिल अंबानी के प्रभाव में कुछ प्रमुख प्रबंधकीय कर्मियों की ओर से संचालित है.’

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