सतीश चंद्र मिश्रा बर्थडे: 18 वर्ष तक राज्यसभा MP, जानें वकील से ब्राह्मण नेता की कहानी
बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमों मायावती के बेहद करीबी नेताओं में से एक सतीश चंद्र मिश्रा का आज जन्मदिन है. 9 नवंबर को सतीश चंद्र मिश्रा अपने जीवन के 70वें पड़ाव में प्रवेश कर चुके हैं. बसपा को पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में सतीश चंद्र मिश्रा ने एक बड़ी भूमिका निभाई थी. 18 वर्ष तक रहे राज्यसभा सांसद रहे सतीश चंद्र मिश्रा का करियर काफी शानदार रहा है. एक वकील से यूपी के कद्दावर ब्राह्मण नेता तक का सफर तय करने वाले सतीश चंद्र मिश्रा की कहानी काफी रोचक है. जानें उनके बारे की कुछ महत्वपूर्ण बातें…
जन्म, शिक्षा और परिवार…
सतीश चंद्र मिश्रा का जन्म यूपी के कानपुर में 9 नवंबर, 1952 को हुआ था. उनके पिता का नाम त्रिवेणी सहाय मिश्रा था, वो एक जस्टिस थे. मां का नाम शकुंतला मिश्रा था, वो एक डॉक्टर थीं. सतीश चंद्र मिश्रा ने पंडित प्रीति नाथ कॉलेज से ग्रैजुएशन के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री ली. इसके बाद वकालत के पेशे से जुड़ गए. सतीश चंद्र मिश्रा की शादी 4 दिसंबर, 1980 को हुई. उनकी अर्धांगिनी का नाम कल्पना मिश्रा है. सतीश और कल्पना की 5 संताने हैं, जिनमें 4 बेटियां और एक बेटा है. बेटे का नाम कपिल मिश्रा है, जिनकी पहचान बसपा में युवा नेता के तौर पर की जाती है.
बार काउंसिल के चेयरमैन से मायावती से संपर्क तक…
सतीश चंद्र मिश्रा का झुकाव वकालत की तरफ ज्यादा रहा. एलएलबी की डिग्री लेने के बाद वो वकालत के पेशे से जुड़ गए. सतीश चंद्र मिश्रा के जीवन में अहम मोड़ वर्ष 1998 में आया, जब उन्होंने बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश का चुनाव लड़ा और चेयरमैन चुने गए. जनवरी, 1998 से फरवरी, 1999 तक वे इस पद पर रहे.
इस दौरान उनके राजनीतिक कनेक्शन बढ़ने लगे. वे मायावती के संपर्क में आए और मायावती सरकार के समय मई, 2002 में उन्हें यूपी का एडवोकेट जनरल बना दिया गया. सितंबर, 2003 तक वे इस पद पर रहे. यहीं से उनका बहुजन समाज पार्टी की तरफ झुकाव बढ़ गया.
बसपा में मिला राष्ट्रीय महासचिव का पद…
बहुजन समाज पार्टी में सतीश चंद्र मिश्रा की सीधे तौर पर एंट्री जनवरी, 2004 में हुई. बसपा ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव का पद दिया. जुलाई, 2004 में वे राज्यसभा के लिए पहली बार चुने गए. इसके बाद वे वर्ष 2010 और 2016 में भी राज्यसभा के लिए बसपा की ओर से निर्वाचित हुए.
यूपी विधानसभा में बसपा के सीटों की संख्या एक पर पहुंचने के बाद उनके राज्यसभा जाने के रास्ते बंद हो गए थे. हालांकि, पिछले 18 सालों से वे बसपा के राष्ट्रीय महासचिव के पद पर कार्यरत हैं.
कई समितियों में रहे सदस्य…
सतीश चंद्र मिश्रा बतौर राज्यसभा सदस्य कई समितियों के मेंबर रहे हैं. वर्ष 2004 में उन्हें विदेश मंत्रालय की सलाहकार समिति का सदस्य बनाया गया. अगस्त 2004 से मई 2009, मई 2012 से मई 2014 और सितंबर 2014 से सितंबर 2015 तक गृह मामलों की समिति के सदस्य रहे. इसके साथ प्राचीन स्मारक, पुरातत्व स्थल और अवशेष संशोधन विधेयक चयन समिति, वित्तीय संकल्प और जमा बीमा विधेयक पर संयुक्त समिति, संविधान के 123वें संशोधन पर राज्यसभा की चयन समिति, राज्यसभा सदस्यों को कंप्यूटर के प्रावधान के लिए समिति, सामान्य प्रयोजन समिति एवं विशेषाधिकार समिति के सदस्य रहे हैं.
ब्राह्मण नेता के रूप में बनाई पहचान…
यूपी में सतीश चंद्र मिश्रा ने एक बड़े ब्राह्मण नेता के रूप में पहचान बनाई. वर्ष 2007 के यूपी चुनाव में वे बसपा के लिए चाणक्य की भूमिका में थे. इस चुनाव में बसपा ने बड़ी लकीर खींची थी. दलित और मुसलमानों की राजनीति करने वाली बसपा ने पहली बार बहुजन से सर्वजन तक का सफर तय किया था.
मायावती की राजनीति में इस बदलाव ने बसपा को एक बड़े वोट बैंक तक पहुंचाया. इस चुनाव में मायावती ने 206 सीटों पर जीत दर्ज की. वर्ष 2002 के चुनाव में 96 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली बसपा ने सपा को महज 97 सीटों पर दर्ज की. इस जीत के पीछे सतीश चंद्र मिश्रा की रणनीति को माना गया.
ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन…
सतीश चंद्र मिश्रा को बसपा ने यूपी चुनाव 2022 में बड़ी जिम्मेदारी दी थी. उन्होंने ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन कर एक बार फिर माहौल बनाने का प्रयास किया, लेकिन बसपा के साथ ब्राह्मण नहीं जुड़ पाए.
चुनाव के समय में बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री नकुल दुबे कांग्रेस में शामिल हो गए थे. इसके बाद चुनाव के समय में स्टार प्रचारकों की सूची में उनका नाम नहीं शामिल किया गया. फिर महत्वपूर्ण बैठकों में उन्हें नहीं बुलाया गया. बता दें उनका राज्यसभा का कार्यकाल बीते 4 जुलाई को खत्म हो चुका है.
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