इस दिन मनाई जाएगी सर्व पितृ अमावस्या, जानें सही तिथि, श्राद्ध समय और महत्व…
पितृ पक्ष के दौरान हर साल ही सर्व पितृ अमावस्या मनाई जाती है, यह अमावस्या आश्विन माह के कृष्ण पक्ष को मनाई जाती है। इसलिए सर्व पितृ अमावस्या को आश्विन अमावस्या और महालया अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस अमावस्या को काफी महत्वपूर्ण माना गया है क्योकि, इस अमावस्या के दिन सभी ज्ञात और अज्ञात पितरों का श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि किया जाता है। लेकिन इस साल इस साल सर्व पितृ अमावस्या कब है? सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध का समय क्या है? इसकी सही तिथि और महत्व क्या है? आइए जाते है इस अमावस्या के बारे में पूरी जानकारी …
इस साल कब मनाई जाएगी सर्व पितृ अमावस्या ?
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन कृष्ण अमावस्या की तिथि 13 अक्टूबर दिन शुक्रवार को रात 09 बजकर 50 मिनट से प्रारंभ होने वाली है और इस तिथि की समाप्ति 14 अक्टूबर दिन शनिवार को रात 11 बजकर 24 मिनट पर होगी। उदयातिथि के आधार पर देखा जाए तो इस वर्ष सर्व पितृ अमावस्या 14 अक्टूबर शनिवार को है. यह शनि अमावस्या भी है।
सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध का क्या होगा समय ?
13 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों के श्राद्ध का समय सुबह 11 बजकर 44 मिनट से प्रारंभ है, जो दोपहर 03 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। इसमें कुतुप मूहूर्त, रौहिण मूहूर्त और अपराह्न काल तीनों शामिल हैं। सर्व पितृ अमावस्या पर कुतुप मूहूर्त 46 मिनट, रौहिण मूहूर्त 46 मिनट और अपराह्न काल 02 घंटा 18 मिनट का होगा।
कुतुप मूहूर्त: 11:44 एएम से 12:30 पीएम तक
रौहिण मूहूर्त: 12:30 पीएम से 13:16 पीएम तक
अपराह्न काल: 13:16 पीएम से 15:35 पीएम तक
इंद्र योग और हस्त नक्षत्र में सर्व पितृ अमावस्या
सर्व पितृ अमावस्या के दिन इंद्र योग प्रात:काल से प्रारंभ होकर सुबह 10:25 बजे तक है, उसके बाद से वैधृति योग प्रारंभ है. हस्त नक्षत्र प्रात:काल से शुरू होकर शाम 04 बजकर 24 मिनट तक है और उसके बाद से चित्रा नक्षत्र है.
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सर्व पितृ अमावस्या का क्या है महत्व
पितृपक्ष के दौरान पड़ने वाली 16 तिथियों में सर्व पितृ अमावस्या को खास माना जाता है क्योकि, इस तिथि पर सभी ज्ञात और अज्ञात सभी श्राद्ध, तर्पण आदि कर सकते हैं। ऐसे में जिन पितरों के मृत्यु की तिथि ज्ञात न हो तो आप उनकी तर्पण, पिंडदान, ब्राह्मण भोज, पंचबलि कर्म, श्राद्ध सर्व पितृ अमावस्या की तिथि पर कर सकते है। इसके अंतर्गत माता पितरों का भी श्राद्ध किया जाता है, हालांकि, माता पितरों के लिए नवमी का दिन विशेष तौर पर निश्चित किया गया है। लेकिन यदि चाहे तो इस दिन भी माता पितरों का तर्पण, पिंडदान, ब्राह्मण भोज, पंचबलि कर्म, श्राद्ध सर्व पितृ अमावस्या के मौके पर कर सकते है।