दारोगा ने मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को भेजा जेल, लेकिन नहीं मालूम धारा
यूपी पुलिस अपनी करतूतों के कारण चर्चा में बनी रहती है। सीएम योगी के सख्त निर्देशों के बावजूद पुलिस अपनी कार्यशैली में बदलाव नहीं ला रही। जिससे सरकार की छवि जनता के बीच खराब हो रही। मीडिया और पुलिस जनता के बीच एक पुल का काम करती है। लेकिन पुलिस अपनी वर्दी के गुमान में लोकतंत्र को कमजोर करने का काम कर रही है। जिस वजह से जनता का भरोसा पुलिस के प्रति कम होता जा रहा है। सीएम योगी ने सख्त निर्देश दिया है कि अधिकारी सीयूजी नंबर का फोन खुद उठाएंगे। लेकिन हैरान करने वाली बात है कि दारोगा जी को यह निर्देश भी याद नहीं रह गया हो।
दरअसल, वाराणसी स्थित भेलूपुर थाना इलाके के भुभुक्षु भवन स्थित संस्कृत विद्यालय में एक छात्र के साथ हॉस्टल वार्डेन पर अप्राकृतिक संबंध बनाने के साथ ही कुछ छात्रों के साथ मारपीट का आरोप लगा है। मामला 30 अगस्त का है, लेकिन विद्यालय प्रबंधन द्वारा मामला दबाए जाने के कारण आरोपियों पर कार्रवाई नहीं हो पाई। जब परिजनों और छात्रों ने शिक्षकों का विरोध कर बवाल काटा तो पुलिस हरकत में आई और आनन फानन में आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
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बताया जा रहा कि यौन शोषण का आरोप हॉस्टल वार्डेन राम प्रसाद द्विवेदी उर्फ रामू गुरुजी और छात्रों के साथ मारपीट का आरोप विद्यालय के कार्यावाहक प्रधानाचार्य त्रिवेणी प्रसाद शुक्ल पर लगा है। आरोप है कि पीड़ित छात्र अपने साथियों के साथ जब वार्डेन की शिकायत करने त्रिवेणी के पास गए तो उनसे मारपीट की गई। दारोगा से जब इस बारे में जानकारी लेने की कोशिश की गई तो कहा कि नेट से पूरी जानकारी मिल जाएगी।
शिक्षकों ने छात्रों को लाठी डंडे से बुरी तरह मारपीट कर भगा दिया। इसके बाद मामले ने तूल पकड़ा और छात्र सड़क पर उतरने को मजबूर हो गए। मामले में पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। लेकिन जब भेलूपुर के थाना प्रभारी से आरोपियों पर लगाए गए धारा के बारे में और उनके निवास को लेकर बात की गई तो कोई भी जानकारी देना मुनासिब नहीं समझा। यही नहीं यह कहकर फोन काट दिया कि उनको याद नहीं है। बाद में फोन करिए। जब मामले को लेकर दोबारा सीयूजी नंबर पर फोन कर जानकारी लेनेक की कोशिश की गई तो फोन ही उठाना सही नहीं समझा। पुलिस की इस कार्यशैली के कारण ही सच्चाई सामने नहीं आ पाती।
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