संकट मोचन के संगीत समारोह: संगीत साधना अनुष्ठान के साक्षी बने रसिक श्रोता

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शनिवार यानि बजरंगबली का दिन वहीं महाबली हनुमानजी का आंगन. मौका था संकटमोचन संगीत समारोह के 101 वें वर्ष के पहले दिन का. नए शताब्दी वर्ष के आयोजन के पहले दिन दर्शकों की भीड़ शाम से पहुंचने लगी थी. वर्ष भर की प्रतीक्षा के बाद छह दिनों तक संगीत साधना के अनुष्ठान का साक्षी बनने की उत्सुकता हर व्यक्ति के चेहरे पर नजर आ रही थी.

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पुत्र ने पिता की ओडिसी की परंपरा के दर्शन कराए

संगीत समारोह की पहली निशा की शुरूआत पं. रतिकांत महापात्रा के ओडिसी नृत्य से हुआ. बजरंगबली को प्रणाम कर और महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र की अनुमति के बाद रतिकांत महापात्र मंच पर पहुंचे. 25 सालों से अनवरत बजरंगबली की ड्योढ़ी पर ओडिसी के जरिए संगीतांजलि अर्पित करने वाले रतिकांत महापात्रा ने शबरी के मंचन से शुरूआत की. भगवान राम की प्रतीक्षा में प्रतीक्षारत शबरी की पीड़ा, भगवान राम के मिलन की खुशी और भगवान को प्रेमभाव से जूठे बेर अर्पित करने का भाव नृत्य के जरिए मंच पर मानो रामायण के उस प्रसंग का सजीव प्रसारण हुआ. 20 मिनट की प्रस्तुति में पं. रतिकांत ने अपने पिता पं. केलुचरण महापात्रा की ओडिसी की परंपरा के दर्शन भी कराए.

जटायु मोक्ष प्रसंग ने श्रोताओं को किया भावुक

पं. रतिकांत महापात्र और सुजाता महापात्रा ने जटायु मोक्ष प्रसंग से समारोह की पहली प्रस्तुति को विराम दिया. प्रसंग में जटायु का रावण के साथ युद्ध और युद्ध में घायल जटायु के अंतिम क्षणों की भाव-भंगिमाएं दर्शकों की आंखों की कोर को नम कर गई. वहीं पूरा मंदिर परिसर जय जय श्रीराम के जयघोष से गूंज उठा. नृत्य प्रस्तुति में सुजाता महापात्रा, राजश्री प्रहराज, ऐश्वर्या शिंदे, प्रीतिशा महापात्रा, जी. संजय ने सहयोग किया.

इन दिग्गजों की रही प्रस्तुति

पंडित रतिकांत महापात्रा के बाद कुमारी अवंतिका महराज (तबला) और विनायक सहाय(सारंगी), नंदिनी नरेन्द्र बेडेकर(गायन) और पंडित विनोद लेले (तबला), पंडित सतीश व्यास(संतूर) और पंडित ओजस योगेश अधिया(तबला), मीनाक्षी मजुमदार (गायन) और देवज्योति बोस(तबला), विजय चंद्रा (की-बोर्ड), पंडित साजन मिश्र और स्वरांश ने भी गायन की प्रस्तुति पेशकश की.

12 साल की अवंतिका ने तबले पर महसूस कराया पाच पीढ़ियों का अंदाज

इसके बाद संकटमोचन संगीत समारोह की सबसे नवोदित कलाकार अवंतिका महाराज ने अपनी प्रस्तुति पेश की. बनारस घराने की अवंतिका ने 30 मिनट की प्रस्तुति में पांच पीढ़ियों के तबला वादन की बाजीगरी से श्रोताओं का प्रेम और आशीर्वाद बटोरा. तबले की थाप पर एक टुकड़े में पांच पीढ़ियों का अंदाज संकटमोचन की अंगनाई ने भी महसूस किया. महज 12 साल की अवंतिका ने सधे हुए बनारसबाज की तरह हर थाप से गंधर्वजेता के चरणों में नमन किया. अवंतिका ने 16 मात्रा तीन ताल में उठान से शुरूआत की. बाल कलाकार ने जनता की मांग पर टुकड़ा, तिहाई की भी प्रस्तुति पेश की.

मंदिर जाने वाले मार्गों में वाहनों की रही पाबंदी

वहीं दोपहर बाद से ही संकटमोचन मंदिर जाने वाले मार्गों को बैरियर लगाकर बंद कर दिया गया था. श्रद्धालु, लंका तिराहे जाने वाले मार्ग पर ही गाड़ी को पार्किंग कर संगीत समारोह का लुत्फ उठाने के लिये कुछ दूर पैदल चलकर मंदिर में पहुंचे थे.

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