एक बार फिर से कर्नाटक में हिजाब का मुद्दा भड़क उठा है. राज्य की मंगलौर यूनिवर्सिटी ने कॉलेज परिसर और कक्षाओं के अंदर हेडस्कार्फ पहनकर आने वाली छात्राओं पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया. इस फैसले के बाद से चारों तरफ यूनिवर्सिटी का विरोध हो रहा है. साथ ही छात्रों व संकाय सदस्यों के प्रतिरोध और आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. यूनिवर्सिटी के 6 संबद्ध कॉलेजों पर भी संशोधित नियम लागू होता है, जिसमें यूनिवर्सिटी-कॉलेज भी शामिल है. बता दें पहले यूनिवर्सिटी कॉलेज में मुस्लिम छात्राओं को कॉलेज ड्रेस की दुपट्टे से अपना सिर ढकने की इजाजत थी. लेकिन, नए नियम में इसे भी खत्म कर दिया गया है.
बीते 16 मई को बेंगलुरु में मंगलौर यूनिवर्सिटी सिंडिकेट की बैठक में इस नियम को खत्म करके 6 कॉलेजों को 17 मई से नए नियम लागू करने के लिए निर्देशित किया गया. यूनिवर्सिटी कॉलेज के प्रिंसिपल अनसूया राय ने एक चैनल को बताया कि उन्होंने मुस्लिम छात्राओं को सिंडिकेट के फैसले का पालन करने के लिए कहा है. प्रिंसिपल अनसूया राय ने कहा ‘हमारे कॉलेज की 44 मुस्लिम छात्राओं में से केवल 10 छात्राएं नियमित रूप से कक्षा में भाग ले रही हैं. हमने अन्य छात्राओं से कैंपस में लौटने के लिए कई दौर की बातचीत की है.’
वहीं, मुस्लिम छात्राओं ने कहा ‘संशोधित नियम पीयू और निचली कक्षाओं तक ही सीमित है, न कि डिग्री या स्नातकोत्तर अध्ययन के लिए. नियम को एक शैक्षणिक वर्ष के मध्य में लागू नहीं किया जा सकता है, जो यथास्थिति को बिगाड़ता है.’ इसके बाद से यूनिवर्सिटी कॉलेज के छात्र यूनियन ने कुछ मुस्लिम छात्राओं द्वारा नए नियम का पालन नहीं करने को लेकर गुरुवार को परिसर में विरोध प्रदर्शन किया और हिजाब पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग की.
उधर, मंगलौर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर पीएस यदापदिथया ने कहा ‘इस मुद्दे पर चर्चा करने और निर्णय पर पहुंचने के लिए शुक्रवार को यूनिवर्सिटी कॉलेज प्रबंधन की एक आपात बैठक बुलाई गई है.’ वरिष्ठ प्राध्यापकों का कहना है कि नए नियम लागू करने से पहले एमयू सिंडिकेट को एक समीक्षा समिति का गठन करना चाहिए था. एक चैनल के मुताबिक एक प्रोफेसर ने कहा ‘एक सप्ताह पहले नियम लागू होने के बाद से परिसर में स्थिति तनावपूर्ण है. कुछ मुस्लिम छात्राएं कक्षाओं के बाहर बैठी थीं और कुछ अनुपस्थित थीं. कॉलेज यूनियन के सदस्यों पर बिना किसी नरमी के नियम को सख्ती से लागू करने का दबाव था.’
एबीवीपी समर्थित स्टूडेंट यूनियन ने यूनिवर्सिटी कॉलेज के प्राचार्य और अधिकारियों पर एक ‘प्रभावशाली, स्थानीय नेता’ के दबाव में इस मुद्दे को हल करने में विफल रहने का आरोप लगाया है. गौरतलब है कि कर्नाटक हाई कोर्ट ने मुस्लिम छात्राओं के एक समूह द्वारा कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति संबंधी याचिकाओं को बीते 15 मार्च को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने छात्राओं को ड्रेस कोड का पालन करने की बात कही थी.