मानवता के लिए RSS बुजुर्ग ने दी जान, ट्विटर पर उफ़ान
भारत में कोरोना वायरस महामारी के कारण आ रहीं नित नई बाधाओं के बीच चिकित्सा अमले के सेवा भाव के साथ ही सामाजिक संगठनों द्वारा जरूरतमंदों को मदद के किस्से चर्चा में हैं. इस बीच नागपुर के एक बुजुर्ग का त्याग और समर्पण का भाव भी सोशल मीडिया में तेजी से साझा हो रहा है. 85 साल के बुजुर्ग नारायण भाऊराव दाभाडकर ने यह कहते हुए एक युवक के लिए अपना बेड खाली कर दिया कि मैंने अपनी पूरी जिंदगी जी ली है, लेकिन उस व्यक्ति के पीछे पूरा परिवार है. अस्तपाल का बेड छोड़ने के बाद नारायण राव घर चले गए और तीन दिन में ही दुनिया को अलविदा कह दिया. ख़ास ये रहा कि भाऊराव RSS से जुड़े थे . अब हर कोई इस वाकये को जानने के बाद नारायण राव की तारीफ कर रहा है . एक बुजुर्ग का मानवता के लिए किया गया यह कार्य पूरे समाज के लिए मिसाल है. पूरे देश मे इस बात की तारीफ़ हो रही है. एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने जब ट्वीट की बहती नदी में हाथ धोया तो इस लेकर पक्ष और विपक्ष मे ट्वीट की बाढ़ आ गई.
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RSS के बुजुर्ग ने त्याग-बलिदान का किया काम
भारत में हिंदी में प्रकाशित प्रतिष्ठित अखबार की एक खबर खास हो गई है। दरअसल खबर में महाराष्ट्र के नागपुर में अस्पताल में कोविड 19 के कारण इलाजरत 85 साल के नारायण भाऊराव दाभाडकर के त्याग और समर्पण की भावना का उल्लेख है।
इन्होंने एक महिला के पति के इलाज के लिए अपना बिस्तर यह कहते हुए छोड़ दिया कि, ‘मैंने अपनी जिंदगी जी ली है। मेरी उम्र अब 85 साल है। इस महिला का पति युवा है। उस पर परिवार की जिम्मेदारी है। इसलिए उसे मेरा बेड दे दिया जाए।’
खबर में उल्लेख है कि अस्पताल में लगभग 40 साल की महिला के पति को अस्पताल ने बेड खाली न होने के कारण भर्ती करने से मना कर दिया था। महिला डॉक्टर्स के सामने गिड़गिड़ा रही थी यह देख दाभाडकर ने अपना बेड दुखियारी महिला के पति को देने की गुजारिश हॉस्पिटल मैनेजमेंट से कर डाली।
आप भी देखिये-पढ़िये ट्वीट जिसे साझा किया है छत्तीसगढ़ कैडर के साल 2009 आईएएस बैच के अवनीश शरण ने (एक समय इस ट्वीट पर 272 प्रतिक्रियाएं, दो लाख से ज्यादा बार रीट्वीट के साथ ही 12 लाख से ज्यादा लोगों के लाइक्स दर्शाए जा रहे थे।) – साभार ट्विटर –
मानवता से बड़ा कुछ भी नहीं. ❤️🙏 pic.twitter.com/JacZS0CbAX
— Awanish Sharan (@AwanishSharan) April 28, 2021
फिर परंपरा का निर्वाह –
जैसा कि सोशल मीडिया की परंपरा हाथों-हाथ लेन-देन की है तो खबर प्रकाश में आते ही बात लोगों के सोशल मीडिया इनबॉक्स में आमद देने लगी। लोगों ने इसे आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नैतिक मूल्यों से जोड़ा और दाभाडकर के निर्णय की प्रशंसा की। एमपी के मुख्यमंत्री और खुद को बच्चों का मामा बताने वाले शिवराज सिंह चौहान ने भी एक ट्वीट में अपनी संवेदनाएं जाहिर कीं।
“मैं 85 वर्ष का हो चुका हूँ, जीवन देख लिया है, लेकिन अगर उस स्त्री का पति मर गया तो बच्चे अनाथ हो जायेंगे, इसलिए मेरा कर्तव्य है कि मैं उस व्यक्ति के प्राण बचाऊं।'' ऐसा कह कर कोरोना पीडित @RSSorg के स्वयंसेवक श्री नारायण जी ने अपना बेड उस मरीज़ को दे दिया। pic.twitter.com/gxmmcGtBiE
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) April 27, 2021
फिर क्या हुआ?
त्याग, तपस्या, बलिदान के एंगल से बढ़ रही इस सोशल स्टोरी पर लोगों ने बुजुर्ग के निर्णय पर तो एक छूट सहमति जताई, लेकिन इसके बावजूद सरकार की नाकामियों को गिनाना नहीं चूके। लोगों के ऐसे चुन-चुन कर कमेंट्स पढ़ने को मिले कि अच्छे-अच्छों के होश ठिकाने आ जाएं, तकिया गायब और बिस्तर ही गोल हो जाए। आप भी पढ़िये –
शर्म–गर्व और चुल्लू भर पानी!
जैसा सोशल मीडिया पर चर्चा-मंथन की परंपरा है कि बातें जब तक तू-तड़ाक और आरोप-प्रत्यारोप तक नहीं पहुंचें कोई सार नहीं निकलता ठीक इस मामले की भी इतिश्री कुछ इसी तर्ज पर हुई। छत्तीसगढ़ की एमएलए शकुंतला साहू ने जब शर्म और गर्व के फर्क पर ध्यान आकृष्ट कराया तो एक यूज़र ने चुल्लू भर पानी वाली कहावत लिख डाली।
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जब शर्म की बात गर्व की बात बन जाए
तब समझो कि जनतंत्र बढ़िया चल रहा है।— Shakuntala Sahu MLA (@ShakuntalaSahu0) April 28, 2021
समय निष्पक्ष भाव से सतत चलायमान है। बदलता है तो सदैव इतिहास! आज मानव जाति जिस चौराहे पर खड़ी है वहां सिर्फ निष्कपट और सत्य का साक्षी भाव ही स्वीकार्य है। गलत देखने, सुनने, बोलने पर इतिहास में भी गलत बातें दर्ज होंगी। वैसे इतिहास गवाह है कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, इस मामले में भी कुछ ऐसा ही देखने-पढ़ने को मिल रहा है। शर्म, गर्व और चुल्लू भर पानी!