कोरोना वायरस महामारी के दौर में विश्व तमाम चुनौतियों से जूझ रहा है। इनमें से खाद्य सुरक्षा भी एक अहम चुनौती है। ऐसे में चीन जैसे कृषि प्रधान देश इसमें अहम भूमिका निभा सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य व कृषि संगठन का मानना है कि चीन में स्थिर खाद्य उत्पादन और कीमतें वैश्विक खाद्य सुरक्षा में प्रमुख योगदान दे सकती हैं। क्योंकि पिछले कई महीनों से कोविड-19 महामारी ने खाद्य सुरक्षा के लिए भी गंभीर संकट पैदा कर रखा है।
संयुक्त राष्ट्र की इस प्रमुख एजेंसी का मानना है कि कोरोना वायरस के तेज प्रसार का असर वैश्विक कृषि और खाद्य बाजारों पर साफ नजर आ रहा है। इस माहौल में कृषि उत्पादों के सबसे बड़े निर्यातकों और आयातकों में से एक के रूप में, चीन की मजबूत खाद्य आपूर्ति, स्टॉक और खपत अंतरराष्ट्रीय खाद्य बाजार व खाद्य सुरक्षा में एक अहम स्टेबलाइजर का काम कर सकती है।
चीन के कृषि व ग्रामीण मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े भी इसी ओर इशारा कर रहे हैं। कोविड-19 के प्रभाव व कुछ क्षेत्रों में बाढ़ के बावजूद, चीन में इस साल अच्छी फसल होने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि लगातार छठे साल चीन का कुल अनाज उत्पादन 650 मिलियन मीट्रिक टन हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह आर्थिक मंदी व कोरोनावायरस से परेशान दुनिया के लिए उम्मीद की किरण होगी।
चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के अनुसार, इस साल गर्मियों की फसल का अनाज उत्पादन 142 मिलियन टन को पार कर गया, जो पिछले साल के मुकाबले 0.9 फीसदी ज्यादा है। खाद्य व कृषि संगठन के मुताबिक चीन में गेहूं आदि फसलों का उत्पादन और अनाज का आयात स्थिर है। जबकि चीन की दो महत्वपूर्ण फसलों चावल और गेहूं की कीमतें इस साल की शुरूआत से आम तौर पर स्थिर रही हैं।
वहीं दुनिया भर में महामारी के कारण खाद्य सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रही है। खाद्य व कृषि संगठन, संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम और विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित पांच अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा जुलाई में संयुक्त रूप से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, इस साल वैश्विक स्तर पर और 130 मिलियन लोगों को भुखमरी का सामना करना पड़ सकता है। जो समूचे विश्व के लिए बड़ी चिंता की बात है।
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