‘रोहिग्या मुसलमान भारत के लिए खतरा नही’

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बांग्लादेश के कॉक्स बाजार इलाके में एक शरणार्थी शिविर में पले-बढ़े 23 वर्षीय रोहिंग्या मोहम्मद इमरान ने कहा कि भारत रोहिग्या मुसलमानों को राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे के तौर पर देख रहा है जो दिल को दुखाने जैसा है।

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भारत सरकार उन लोगों को वहां वापस भेजना चाह रही है, जहां वे मारे जा सकते हैं…

इमरान के परिवार ने म्यांमार में होने वाले जुल्म से बचने के लिए बांग्लादेश में शरण ली हुई है। एक बेहतर जीवन की तलाश में दो महीने पहले बांग्लादेश से मलेशिया पहुंचे इमरान ने कहा, “मैंने अखबारों में पढ़ा है। भारत सरकार उन लोगों को वहां वापस भेजना चाह रही है, जहां वे मारे जा सकते हैं।

इमरान समुद्र के रास्ते से मलेशिया पहुंचे…

इमरान समुद्र के रास्ते से मलेशिया पहुंचे। इसके लिए उन्हें एक एजेंट को दो हजार डालर देने पड़े।हाल ही में, भारत सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि देश में लगभग 40,000 रोहिंग्या मुस्लिम रह रहे हैं, जिनसे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है और उन्हें निर्वासित किया जाएगा। भारत के रुख ने कई रोहिंग्या को आश्चर्यचकित किया, जिन्हें नई दिल्ली से समर्थन की उम्मीद थी।

इमरान ने कहा, “यह समय भारत के लिए क्षेत्र में एक बड़ी भूमिका निभाने का है। उसे रोहिंग्या मुसलमानों के लिए अपना समर्थन दिखाना चाहिए।

भारत को रोहिंग्या मुसलमानों को निर्वासित नहीं करना चाहिए…

उन्होंने कहा, “भारत को रोहिंग्या मुसलमानों को निर्वासित नहीं करना चाहिए। रोहिंग्या लोग असहाय हैं, जिनके पास घर कहलाने के लिए कोई जगह नहीं है। वे आतंकवादी नहीं हैं, वे सिर्फ शांति से रहना चाहते हैं। मैं हमेशा भारत की यात्रा करना चाहता था। हम भारत को अपना दोस्त मानते हैं, लेकिन संकट पर सरकार का मौजूदा रवैया निराश करने वाला है।”

कुतोप्लोंग शरणार्थी शिविर में रह रहा है, जहां की जिंदगी दुखदायी है

इमरान ने कहा कि उनकी दो विवाहिता बहनें हैं, जो कॉक्स बाजार के शिविर में अपने ससुराल वालों के साथ रहती हैं। वह जब दो साल के थे, तभी उनके माता-पिता को म्यांमार के राखिने राज्य में अपने घर से भागने के लिए मजबूर किया गया था। तब से उनका परिवार कॉक्स बाजार के कुतोप्लोंग शरणार्थी शिविर में रह रहा है, जहां की जिंदगी दुखदायी है।

इमरान ने कहा, “हम एक खुली जेल में रह रहे हैं। हमारे पास अपनी कोई पहचान नहीं है। हम केवल शरणार्थी हैं, जिनके पास न तो घर है और न ही देश।

इमरान से पूछा गया कि म्यांमार क्यों उनको बाहरी समझता है…

इमरान ने म्यांमार में रोहिंग्या, काचीन और अन्य जातीय अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ कथित अत्याचारों और अपराधों के मुद्दे पर मलेशिया में परमानेंट पीपुल्स ट्राइब्यूनल (पीपीटी) की कार्रवाई में शिरकत की। पीपीटी म्यांमार में हिंसा की समाप्ति के लिए अपनी जानकारियों को अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं, खासकर संयुक्त राष्ट्र के साथ साझा करेगा।इमरान से पूछा गया कि म्यांमार क्यों उनको बाहरी समझता है, जबकि पीढ़ियों से रोहिग्या सुमदाय देश में रह रहा है।

म्यांमार हमें क्यों बाहरी या फिर बांग्लादेशी समझता है?

इमरान ने जवाब में कहा,”मैं यह नहीं समझ पाता कि म्यांमार हमें क्यों बाहरी या फिर बांग्लादेशी समझता है। अगर हम बांग्लादेश के होते तो हमारे वहां रिश्तेदार क्यों नहीं होते। मेरे दादा, परदादा और उनसे पहले की पीढ़ियां म्यांमार में पली बढ़ी हैं। राखिने के हालात काफी खराब हो चुके हैं और वहां रहना असंभव है। मेरे सभी रिश्तेदार जो राखिने में रह रहे हैं, उन्हें बांग्लादेश जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।”

अधिकार समूह म्यांमार की सेना पर रोहिंग्या गांवों को जलाने, महिलाओं के साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगा रहे हैं। लेकिन, म्यांमार की सेना का कहना है कि वह आतंकवादियों के हमलों का जवाब दे रही है और उसने नागरिकों को निशाना नहीं बनाया है।

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