बीएचयू के एसएसबी के कैथलैब कांप्लेक्स में भर्ती हृदय रोगियों को संक्रमण का खतरा – प्रो. ओम शंकर
वाराणसी : काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सरसुंदर लाल अस्पताल स्थित शताब्दी सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक (एसएसबी) हृदय रोग विभाग में दिल के मरीजों को कैथ लैब कांपलेक्स में भर्ती किए जाने पर हृदय रोग विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. ओमशंकर ने सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने बीएचयू के कुलपति और आईएमएस के निदेशक को पत्र लिखकर इसे मरीजों के हित के विपरीत फैसला बताया. इसकी प्रति मेडिकल सुपरीटेडेंट को भी दी है.
प्रोफेसर ओमशंकर ने कुलपति को लिखे पत्र में बताया है कि यह दुखद है कि कैथ लैब ऑपरेशन थिएटर के बेड का चिकित्सा अधीक्षक के आदेश के बाद मरीजों की भर्ती के लिए गलत उपयोग किया जा रहा है, जिससे हृदय रोगियों के जान की सुरक्षा का खतरा बना है. कैथलेब वह जगह है जहां दिल के मरीजों की सर्जरी की जाती है.
गलती छिपाने के लिए कैथलैब में भर्ती करने का आरोप
प्रो. ओम शंकर का कहना है कि पहले हृदय विभाग को आवंटित 90 बेड में से 49 बेड छीन लिए गए. इसके बाद बेड की समस्या को छिपाने के लिए कैथ लैब में बने बेड पर मरीजों को भर्ती किया जा रहा है. इस तरह की स्थिति तब है जब कैथ लैब ऑपरेशन थिएटर में जो बेड हैं, वहां मरीजों को ऑपरेशन से पहले और बाद में लिटाया जाता है. यह हृदय रोग विभाग और विश्वविद्यालय की साख के लिए हानिकारक है. साथ ही इससे मरीजों की सेहत को गंभीर खतरा भी है. उन्होंने कुलपति से मामले में हस्तक्षेप कर कार्रवाई की मांग की है.
प्रोफेसर ने प्रधानमंत्री के नाम भी लिखा खुला पत्र
प्रो. ओम शंकर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम खुला पत्र भी लिखा है. उनका कहना है कि एक हृदय रोग विशेषज्ञ और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के संकाय सदस्य के रूप में, मुझे कई वर्षों से वाराणसी और आस-पास के क्षेत्रों के लोगों की सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है. मैं आपसे विनम्रतापूर्वक वाराणसी में 500 बिस्तरों वाले एक समर्पित कार्डियक सेंटर की स्थापना के लिए अनुरोध करना चाहता हूं.
इस क्षेत्र में हृदय रोगों (CVDs) की तेजी से बढ़ती दर को देखते हुए, इस स्वास्थ्य सुविधा की अत्यंत आवश्यकता है ताकि बढ़ती स्वास्थ्य चुनौतियों और मांगों को पूरा किया जा सके. उनका कहना है कि स्वास्थ्य सेवाओं में हुई प्रगति के बावजूद, वाराणसी का कार्डियक देखभाल बुनियादी ढांचा अपर्याप्त है. समर्पित कार्डियक सेंटर की अनुपस्थिति के कारण, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मरीज दिल्ली या लखनऊ जैसे दूरस्थ महानगरों में इलाज के लिए जाने को मजबूर होते हैं, जिससे उपचार में देरी और मृत्यु दर में वृद्धि होती है. वाराणसी में एक समर्पित कार्डियक सुविधा इस चुनौती को सीधे हल करेगी और मरीजों के परिणामों में उल्लेखनीय सुधार लाएगी.
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वर्तमान कार्डियक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा
यद्यपि वाराणसी में कुछ कार्डियक देखभाल इकाइयाँ हैं, लेकिन हृदय रोगियों की तेजी से बढ़ती संख्या को संभालने के लिए समग्र बुनियादी ढांचा अपर्याप्त है. 500 बिस्तरों वाला कार्डियक सेंटर, अत्याधुनिक नैदानिक, इंटरवेंशनल और सर्जिकल सुविधाओं से सुसज्जित, इस अंतर को पाटने में सहायक सिद्ध होगा. इस तरह का सेंटर न केवल प्रतीक्षा समय को कम करेगा बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि मरीजों को आवश्यक विशेष देखभाल मिल सके, जिससे परिणामों में सुधार हो और जीवन की रक्षा हो सके.