होटल व रेस्तरां उद्योग को है राहत पैकेज का इंतजार

दो महीने से रेस्तरां और होटलों का काम भारत में ठप

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नई दिल्ली : केंद्र द्वारा आर्थिक गतिविधियों के लिए राष्ट्रव्यापी बंद में सोमवार से कुछ छूट Relief तो दे दी गई है, मगर आतिथ्य व होटल उद्योग अब भी अनिश्चितकाल के लिए बंद हैं। इस क्षेत्र को सरकार से राहत का इंतजार है।

सरकार Relief प्रदान करे

करीब दो महीने से रेस्तरां और होटलों का काम ठप पड़ा हुआ है और इस संकट के समय में उद्योग के प्रतिनिधियों का कहना है कि राजस्व नहीं होने के मद्देनजर यह समय की मांग है कि सरकार कर्मचारियों के वेतन और अन्य चीजों में Relief प्रदान करे।

फेडरेशन ऑफ एसोसिएशंस इन इंडियन टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी (फैथ) ने इंडियन टूरिज्म के लिए वैल्यू इन रिस्क (वीएआर) 10 लाख करोड़ रुपये आंकी है, जो उसके पिछले अनुमान से दोगुना है। वीएआर एक ऐसा आंकड़ा है, जो एक निश्चत समय सीमा में किसी फर्म के अंदर वित्तीय जोखिम के स्तर को मापता है।
एफएआईटीएच का मानना है कि जोखिम का यह मूल्य 10 लाख करोड़ रुपये तक जा सकता है, क्योंकि भारत में इसके सभी प्रमुख आवक, घरेलू और आउटबाउंड बाजारों में पर्यटन आपूर्ति श्रंखला बेहद खराब स्थिति में है।

न्यूनतम 50,000 करोड़ मिले

फैथ ने नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के नेतृत्व वाले अधिकार प्राप्त समूह-6 को कोविड-19 पर्यटन कोष के लिए न्यूनतम 50,000 करोड़ रुपये के कोष का अनुरोध किया है।

इस कोष का उपयोग भारत में पर्यटन उद्यमों द्वारा 10-वर्ष के ब्याज मुक्त ऋण के रूप में किया जा सकता है, जो कि क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को राहत देने के लिए मांगा गया है।

लाइसेंस शुल्क में भी बिना किसी दंड के Relief मिले

इसके साथ ही इसने सभी बैंकिंग ऋणों, भविष्य निधि (पीएफ), ईएसआई, आयकर, जीएसटी, फिक्स्ड पावर और यूटिलिटीज टैरिफ, प्रॉपर्टी टैक्स सहित सभी बैंकिंग ऋणों और केंद्रीय व राज्य वैधानिक देनदारियों की 12 महीने की पूर्ण Relief मांगी है। इसके साथ ही उत्पाद शुल्क, अंतर-राज्य पर्यटक परिवहन कर और लाइसेंस शुल्क में भी बिना किसी दंड के Relief की मांग की गई है।

होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एचएआई) के उपाध्यक्ष के. बी. कचरू ने आईएएनएस से कहा कि सोमवार को नीति आयोग के साथ बैठक में इस क्षेत्र के अस्तित्व और पुनरुद्धार दोनों के बारे में चर्चा हुई है।

कचरू ने कहा, बैठक के दौरान स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि इस स्तर पर हमें अपने आपको बचाए रखने की प्रक्रिया पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है और साथ ही साथ अधिस्थगन देनदारियों के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने और लाइसेंस व अन्य संबंधित शुल्क निलंबित करने की आवश्यकता है।

बिजली शुल्क में मिले Relief

उन्होंने कहा कि एसोसिएशन बिजली शुल्क के बारे में राज्य सरकारों के साथ अलग से बातचीत कर रही है और कुछ राज्य प्रस्ताव पर विचार भी कर रहे हैं।

कचरू ने कहा कि अगर उद्योग को तत्काल समर्थन नहीं मिलता है तो इस संकट के समय में इस क्षेत्र में लगभग चार करोड़ कर्मचारी नौकरी खो देंगे।

आतिथ्य क्षेत्र की तरह ही खाद्य एवं पेय पदार्थ (एफ एंड बी) उद्योग भी सरकारी समर्थन के लिए इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि महज कुछ होम-डिलीवरी के ऑर्डर को छोड़कर पिछले दो महीनों से कोई डिलीवरी नहीं हो रही है।

नेशनल रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) के अध्यक्ष अनुराग कटियार ने कहा कि राष्ट्रव्यापी बंद के बाद गुजरते हर दिन के साथ रेस्तरां क्षेत्र की मुश्किलें बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि बंद समाप्त होने के बाद अगर सरकार की ओर से उन्हें कोई सहायता नहीं मिलती है तो रेस्तरां क्षेत्र को अपने पैरों पर खड़ा होना मुश्किल हो जाएगा।

राहत न मिली तो गुजारा नहीं

उन्होंने कहा, अगर हमें अभी कुछ राहत नहीं मिलती है, तो हम गुजारा करने की स्थिति में नहीं होंगे।

कटियार ने बताया कि क्षेत्र में कुल 20 लाख से अधिक यानी 30 प्रतिशत कर्मचारियों की नौकरी जाने की संभावना है। उद्योग निकाय प्रमुख ने कहा कि सरकार को कम दरों पर कार्यशील पूंजी ऋण के अलावा कर्मचारियों के लिए वेतन के मामले में उनका समर्थन करना चाहिए।

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