कब सुधरेगी कैसरबाग का सूरत ए हाल…
लखनऊ में पर्यटन की बात हो तो कैसरबाग की चर्चा खुद-ब-खुद आ जाती है। कारण यह है कि वाजिद अली शाह के बेहद करीब कैसरबाग की भव्यता के निशां आज भी मौजूद हैं जो उसकी कहानी बयां करते हैं। लेकिन आज कैसरबाग अपनी वह चमक खो चुका है। सफेद बारादरी, लाखी गेट, सआदत अली खां व मुर्शीद जादी का मकबरा, भातखंडे, हाईकोर्ट, कोठी दर्शन विलास, गुलिस्ताने एरम, लाल बारादरी, छतर मंजिल, रेजीडेंसी, जनरल कोठी, रौशनउद्दौला कोठी जैसी नायाब वास्तुकला की ऐतिहासिक धरोहरें यहां मौजूद हैं।
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बजबजाती नालियां व जाम ने इसकी सूरत ही बिगाड़ दी
इसकी वजह से ही आज नवाबी शहर लखनऊ की विश्व में अलग पहचान है। यह धरोहरें व अवधी कुजीन देशी-विदेशी पर्यटकों को विशेष रूप से आकर्षित करती हैं। यह बात दीगर है कि आज वो कैसरबाग नहीं रह गया जो वाजिद अली शाह के दिल में बसता था। इसे संवारने की । कल्याण सिंह की सरकार में नगर विकास मंत्री लालजी टंडन ने कैसरबाग को संवारने की पहल शुरू की थी। तभी चौराहे की सभी इमारतों को एक रंग में रंगा गया। एक तरह के साइन बोर्ड लगाए गए व चौराहे को संवारा गया। कुछ समय बाद कैसरबाग फिर बेनूर हो गया। चौतरफा अतिक्रमण, उफनाते मैनहोल, बजबजाती नालियां व जाम ने इसकी सूरत ही बिगाड़ दी।
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अतिक्रमण व बदहाली की शिकंजे से नहीं निकाला जा सका
राज्यपाल मोती लाल वोरा ने इसकी हालत को देखते हुए कैसरबाग हेरीटेज जोन घोषित कर दिया। एक बार फिर उम्मीद बंधी कि शायद इस बार कैसरबाग संवर जाए। बड़ी चुनौती अतिक्रमण था जिसके चलते ऐतिहासिक इमारतें जार-जार हो रही थीं। सफेद बारादरी के दोनों ओर पार्को को संवारा गया। अतिक्रमण हटा कर एलडीए ने आगे-पीछे लोहे की ग्रिल लगा दी। पर्यटन विभाग ने लगभग तीन करोड़ की राशि व्यय तो की लेकिन, कैसरबाग की सूरत न संवर सकी। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कैसरबाग सहित हुसैनाबाद को संवारने की पहल की। हुसैनाबाद कुछ निखरा, लेकिन कैसरबाग को अतिक्रमण व बदहाली की शिकंजे से नहीं निकाला जा सका।
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कैसरबाग के संवरने की बात लोगों के दिलों में हिलोरे पैदा कर रही
ओवर फ्लो करते मैनहोल, बजबजाती नालियां, बेरौनक पार्क, लोहे कि ग्रिल से की गई घेराबंदी, हेरिटेज वॉक के लिए बनाया गया कंक्रीट का ‘पाथ’ कैसरबाग का चेहरा बिगाड़ रहे हैं। पुरातत्व विभाग द्वारा कैसरबाग की कुछ इमारतों के संरक्षण का काम कराया जा रहा है। इनमें कोठी दर्शन विलास, गुलिस्ताने एरम, रौशनुद्दौला कोठी, फरहत बख्श, लाल बारादरी कोठी शामिल है। इन इमारतों तक पर्यटकों का पहुंचना आसान नहीं है। हालांकि उम्मीदें एक बार फिर जोर मार रही हैं। स्मार्ट सिटी के बहाने कैसरबाग के संवरने की बात लोगों के दिलों में हिलोरे पैदा कर रही है। काश इस बार कोशिशें कामयाब हो और देश-दुनिया में मशहूर कैसरबाग नए-पुराने का ऐसा सामंजस्य बनकर उभरे कि पर्यटक ही नहीं हर कोई देखता रह जाए।
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