दिल्ली हार पर संघ की नसीहत, हर बार मोदी और शाह मदद नहीं कर सकते

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अंग्रेजी मुखपत्र ‘आर्गनाइजर’ ने दिल्ली चुनाव के बाद अपनी पार्टी को नसीहत दी है।
उसका कहना है कि कोई गलत उम्मीदवार सिर्फ यह कहकर नहीं बच सकता कि वह एक अच्छी पार्टी से है। यही नहीं, हर बार मोदी और शाह मदद नहीं कर सकते।

दिल्ली में भाजपा का जमीनी ढांचा नाकाम

पं. दीनदयाल उपाध्याय का संदर्भ देते हुए अखबार ने लिखा है कि बुराई हमेशा बुराई रहेगी। लेख में कहा गया है कि दिल्ली में 2015 के बाद भाजपा की जमीनी स्तर ढांचे को पुनर्जीवित करने और चुनाव के आखिरी चरण में प्रचार-प्रसार को चरम पर ले जाने में नाकामी हार का बड़ा कारण बनी। नरेंद्र मोदी और अमित शाह हमेशा विधानसभा स्तर के चुनावों में मदद नहीं कर सकते। दिल्ली में संगठन का पुनर्गठन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

मतदाताओं के व्यवहार को समझने की जरूरत

आर्गनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने लिखा है कि दिल्ली जैसे बड़े शहर जैसे राज्य में मतदाताओं के व्यवहार को समझने की जरूरत है। भाजपा द्वारा उठाया गया शाहीन बाग का मुद्दा फेल हो गया, क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने इस पर स्पष्ट रुख साफ कर दिया। इसके साथ ही केतकर ने भाजपा को केजरीवाल के नए ‘भगवा अवतार’ के लिए चेताया और कहा कि इस पर नजर रखने की जरूरत है।

दूसरी ओर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि संघ देश के सभी मामलों में हस्तक्षेप करता है तथा इस तरह के भ्रम फैलाने वालों में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी शामिल हैं।

हिंदू समाज को संगठित करने के अलावा संघ का कोई और काम नहीं

भागवत ने मोरहाबादी स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के फुटबाल मैदान में स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज को संगठित करने के अलावा संघ का कोई और काम नहीं है। यह भ्रम फैलाया जाता है कि संघ देश के सभी मामलों में हस्तक्षेप करता है। ऐसा कई लोग कहते हैं। इमरान खान भी कहते हैं।

नेशनलिज्म (राष्ट्रवाद), इस शब्द का उपयोग न कीजिए

गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त करने के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने विभिन्न मंचों से भारत सरकार के इस निर्णय का विरोध हुए नरेन्द्र मोदी सरकार पर आरएसएस के एजेंडे पर चलने का आरोप लगाया था।
भागवत ने कहा कि विश्व में राष्ट्रवाद को अच्छे अर्थ में नहीं लिया जाता है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के एक कार्यकर्ता ने कहा कि अंग्रेजी आपकी भाषा नहीं है और आप जो पुस्तक में पढ़ें हैं उसके अनुसार बोलेंगे परन्तु बातचीत में शब्दों के अर्थ भिन्न हो जाते हैं। इसलिए आप नेशनलिज्म (राष्ट्रवाद), इस शब्द का उपयोग न कीजिए।

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