कांग्रेस ने इस मुद्दे पर नायडू को घेरा

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कांग्रेस ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार एम.वेंकैया नायडू से उनकी बेटी के गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) को 2.46 करोड़ रुपये के विभिन्न विकास शुल्क हैदराबाद महानगर विकास प्राधिकरण को अदा करने से मिली छूट पर जवाब मांगा है। दूसरा सवाल हर्ष टोयोटा (नायडू के बेटे हर्षवर्धन नायडू के पास मालिकाना हक) द्वारा बिना किसी निविदा के तेलंगाना सरकार को वाहनों की आपूर्ति से संबंधित है।

इसके अलावा, उनसे आंध्र प्रदेश में उस 4.95 एकड़ जमीन की खरीदारी को लेकर भी सवाल पूछा गया है, जो गरीबों व निराश्रितों के लिए आरक्षित थी।पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह से भ्रष्टाचार व अन्याय के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात बार-बार दोहराने के संदर्भ में आगे आकर इन सवालों के जवाब देने की मांग की है।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने बयान में कहा, “कम से कम 48 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है। हमेशा की तरह प्रधानमंत्री तथा भाजपा अध्यक्ष चुप्पी साधे हुए हैं।” उन्होंने कहा, “भाजपा के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार तथा उनके बचाव में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) द्वारा दिया गया जवाब, जवाब के बजाय कई सवाल खड़े करता है।”

कांग्रेस ने कहा, “तेलंगाना सरकार तथा नायडू ने स्वीकार किया है कि उनकी बेटी दीपा वेंकट के ‘स्वर्ण भारत ट्रस्ट’ को 2,46,00,000 रुपये का विकास शुल्क हैदराबाद महानगर विकास प्राधिकरण को अदा करने से छूट प्रदान की गई।” पार्टी ने कहा, “नायडू से इस एकतरफा ऋणमाफी को न्यायोचित साबित करने की मांग की गई है तथा 16 और ट्रस्टों को छूट प्रदान की गई।”

सुरजेवाला ने कहा, “तथ्य यह नहीं है कि ‘स्वर्ण भारत ट्रस्ट’ को विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 के तहत नोटिस जारी किया गया था। एक ट्रस्ट जिसपर एफसीआरए के तहत कार्रवाई हो रही है, क्या उसे सार्वजनिक शुल्क से छूट प्रदान करना उचित है?”

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कांग्रेस नेता ने कहा, “हर्ष टोयोटा द्वारा जहां तक तेलंगाना सरकार को वाहनों की आपूर्ति का मामला है, तो यह बिना किसी निविदा के किया गया। राज्य सरकार ने सीधे हर्ष टोयोटा से 350 टोयोटा वाहनों की खरीद की।” प्रवक्ता ने कहा, “तथ्य यह नहीं है कि सर्वोच्च न्यायालय ने जमीन का आवंटन रद्द कर दिया।”

सुरजेवाला ने कहा, “नायडू ने इस बात से इनकार नहीं किया है कि उन्होंने आंध्र प्रदेश में गरीबों व निराश्रितों के लिए आरक्षित जमीन ली। बात यह नहीं है कि उन्हें जमीन वापस करने पर मजबूर किया गया, क्योंकि उसे अवैध तौर पर लिया गया था। क्या इससे वह दोषमुक्त हो जाएंगे?”

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