रामचरितमानस विवाद: अखिलेश पर भड़कीं मायावती, बोलीं- लखनऊ गेस्ट हाउस की घटना को याद कर अपने गिरेबान में झांकें सपाई
हिंदुओं के ग्रंथ रामचरितमानस पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर चर्चा में आए समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को लेकर बढ़ा विवाद अब थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसी क्रम में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि बीजेपी के लोग पिछड़ों और दलितों को शूद्र मानते हैं. हम सबको शूद्र मानते हैं.
बीजेपी के लोग दलितों और पिछड़ों को शुद्र मानते हैं। उन्हें तकलीफ है कि हम उनके धार्मिक स्थान पर क्यों जा रहे हैं गुरु और संतों से आशीर्वाद लेने।
आज हमारी सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया भाजपा के लोग याद रखें समय बदलेगा तो उनके लिए भी ऐसी ही व्यवस्था होगी।
-श्री अखिलेश यादव जी, लखनऊ pic.twitter.com/AOXyKczyS0
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) January 28, 2023
वहीं, अखिलेश के इस बयान पर अब बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने बड़ा हमला बोला है. मायावती ने कहा कि सपा कमजोर और उपेक्षित वर्गों को शूद्र कहकर उनका अपमान न करें. सपा पर निशाना साधते हुए मायावती ने अपने ट्विटर हैंडल से लगातार 4 ट्वीट किये.
पहले ट्वीट में मायावती ने लिखा
‘देश में कमजोर व उपेक्षित वर्गों का रामचरितमानस व मनुस्मृति आदि ग्रंथ नहीं बल्कि भारतीय संविधान है जिसमें बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने इनको शूद्रों की नहीं बल्कि एससी, एसटी व ओबीसी की संज्ञा दी है. अतः इन्हें शूद्र कहकर सपा इनका अपमान न करे तथा न ही संविधान की अवहेलना करे.’
दूसरे ट्वीट में मायावती ने लिखा
‘इतना ही नहीं, देश के अन्य राज्यों की तरह यूपी में भी दलितों, आदिवासियों व ओबीसी समाज के शोषण, अन्याय, नाइन्साफी तथा इन वर्गों में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों आदि की उपेक्षा एवं तिरस्कार के मामले में कांग्रेस, भाजपा व समाजवादी पार्टी भी कोई किसी से कम नहीं.’
तीसरे ट्वीट में मायावती ने लिखा
‘साथ ही, सपा प्रमुख द्वारा इनकी वकालत करने से पहले उन्हें लखनऊ स्टेट गेस्ट हाउस के दिनांक 2 जून सन् 1995 की घटना को भी याद कर अपने गिरेबान में जरूर झाँककर देखना चाहिए, जब सीएम बनने जा रही एक दलित की बेटी पर सपा सरकार में जानलेवा हमला कराया गया था.’
चौथे ट्वीट में मायावती ने लिखा
‘वैसे भी यह जगज़ाहिर है कि देश में एससी, एसटी, ओबीसी, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों आदि के आत्म-सम्मान एवं स्वाभिमान की क़द्र बीएसपी में ही हमेशा से निहित व सुरक्षित है, जबकि बाकी पार्टियाँ इनके वोटों के स्वार्थ की खातिर किस्म-किस्म की नाटकबाजी ही ज्यादा करती रहती हैं.’
4. वैसे भी यह जगज़ाहिर है कि देश में एससी, एसटी, ओबीसी, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों आदि के आत्म-सम्मान एवं स्वाभिमान की क़द्र बीएसपी में ही हमेशा से निहित व सुरक्षित है, जबकि बाकी पार्टियाँ इनके वोटों के स्वार्थ की खातिर किस्म-किस्म की नाटकबाजी ही ज्यादा करती रहती हैं।
— Mayawati (@Mayawati) February 3, 2023
बता दें रामचरितमानस में एक चौपाई है ‘प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं। मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं॥ ढोल गंवार सूद्र पसु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी॥’ इसे लेकर यूपी से बिहार तक की राजनीति में घमासान मचा है. यहां तक कि बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने रामचरितमानस को नफरत बोने वाला ग्रंथ बताया था तो वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को बकवास बताते हुए सरकार से उसे बैन करने की मांग की थी.
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