फिजाओं में घुलती ईद की मिठास
अलविदा जुमा बीतने के साथ ही अब रमजान भी विदा होने को है। इस एक महीने रोजेदारों ने जिस तरह हर उस अमल से खुद को दूर रखा है, कि जिससे इस्लाम आपको रोकता है और उन अमल को अंजाम दिया है जिसको करने का अल्लाह ने हुक्म दिया है। तमाम बुराइयों से बचकर नेकियों की ओर बढ़ने का जो सफर शुरू हुआ है जिसे आगे कायम रखना होगा। रमजान के इस पाक महीने की सीख का असर बाकी 11 महीनों पर भी दिखे।
रमजान की फजीलत पर एक जलसा आयोजित किया गया
यही है रमजान का असली मकसद। यह बातें मरकजी शिया चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने रविवार को कहीं। अकबरी गेट स्थित इमामबाड़ा जन्नतमआब सैयद तकी साहब में रमजान की फजीलत पर एक जलसा आयोजित किया गया।
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जलसे का आगाज मौलवी कर्रार हुसैन ने कुरआन शरीफ की तिलावत कर किया। मौलाना सैफ अब्बास ने जलसे की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि कुछ लोग (आतंकी संगठन) इस्लाम को कमजोर करने की नापाक कोशिशें कर रहे हैं, उनकी कोशिशों को नाकामयाब करने के लिए मरजय्यत को बढ़ावा देना होगा। इमाम के जहूर से पहले अजादारी व मरजय्यत की हिफाजत करें।
इंसान की हिफाजत का जरिया बनता है
शिया हेल्पलाइन’ फित्र निकालना क्यों जरूरी है? 1फित्र रमजान के रोजे को कबूल कराता है, साथ ही अगले एक साल तक इंसान की हिफाजत का जरिया बनता है। ’ क्या फित्रे की रकम मस्जिद के निर्माण में दी जा सकती है? इस रकम पर केवल गरीबों का हक है, मस्जिद के निर्माण में देना ठीक नहीं। ’ अगर किसी ने गलती से इफ्तार से कुछ पहले रोजा खोल लिया है तो क्या होगा?
ऐसी सूरत में रोजे की कजा करनी होगी, कफ्फारा नहीं देना होगा। सुन्नी हेल्पलाइन’ सोने व चांदी के गहनों की किस कीमत के हिसाब से जकात निकाली जाएगी ? बाजार भाव की कीमत के हिसाब से जकात निकाली होगी। ’ क्या रमजान के अलावा भी जमात के साथ वित्र की नमाज पढ़ी जा सकती है? नहीं, अन्य दिनों में वित्र की नमाज पढ़ना सही नहीं है। ’ फिदया देने के बाद बीमार ठीक हो जाए तो क्या उसे रोजे की कजा करनी होगी? रोजे की कजा वाजिब होगी।
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