21 दिन की फरलो पर बाहर आया राम रहीम ?

क्या है पैरोल और फरलो में अंतर ?

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रेप केस मामले के आरोप डेरा सच्चा सौदा का प्रमुख गुरमीत राम रहीम एक बार फिर फरलो पर बाहर आ गया है. इस बार कोर्ट ने उसे 21 दिन की फरलो दी है. इसके साथ ही वह आज यानी मंगलवार की सुबह 6.30 मिनट सुनारिया जेल से बाहर आ गया है. वहीं फरलो पर बाहर आया राम रहीम अपने 21 दिन यूपी के बागपत जिले में स्थित बरनावा आश्रम में गुजारने वाला है.

आपको बता दें कि इससे पहले शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SSGPC)द्वारा की गई याचिका को पिछले दिनों पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था. इस याचिक में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को अस्थायी रिहाई की मांग की गई. न्यायालय ने कहा कि सक्षम प्राधिकारी अस्थायी रिहाई की याचिका पर बिना मनमानी या पक्षपात के विचार करना चाहिए.

जून में दायर की थी फरलो की याचिका

आपको बता दें कि बलात्कार के दोषी गुरमीत राम रहीम सिंह ने जून 2024 में फरलो की मांग की थी. इसमें राम रहीम ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से 21 दिन की फरलो मांगी थी. इससे पहले फरवरी में हरियाणा सरकार को हाईकोर्ट ने कहा था कि, वह डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को उसकी अनुमति के बिना आगे पैरोल न दे. उस समय हाईकोर्ट में प्रबंधक समिति की याचिका पर सुनवाई चल रही थी, जो डेरा सच्चा सौदा प्रमुख की अस्थायी रिहाई को चुनौती देती थी.

अब तक राम – रहीम को कितनी बार मिली फरलो और पैरोल ?

24 अक्टूबर 2020
पहली बार अस्पताल में भर्ती मां से मिलने के लिए राम रहीम को एक दिन की पैरोल दी गयी थी.

21 मई 2021
दूसरी बार मां से मिलने के लिए 12 घंटे की पैरोल दी गयी थी.

7 फरवरी 2022
डेरा प्रमुख को परिवार से मिलने के लिए 21 दिन की फरलो मिली थी.

जून 2022
30 दिन की पैरोल पर बाहर आया था, जिसमें उसने उत्तर प्रदेश के बागपत आश्रम में समय बिताया था.

14 अक्टूबर 2022
राम रहीम को 40 दिन की पैरोल मिली. उस दौरान उसने बागपत आश्रम में रहते हुए म्यूजिक वीडियो जारी किया था.

21 जनवरी 2023
चार दशक की पैरोल छठी बार मिली थी. शाह सतनाम सिंह की जयंती मनाने के लिए वह जेल से बाहर आया था.

20 जुलाई 2023
यह सातवीं बार था जब राम रहीम पैरोल बाहर आया था.

21नवंबर 2023
यह दूसरी बार था जब राम रहीम को फरलो दी गयी थी, इसमें वह 21 दिन के लिए बाहर आया था और बागपत आश्रम में समय गुजरा था.

जानें क्या होती है फरलो ?

फरलो एक तरह की छुट्टी है, जिसमें कैदी को कुछ दिन के लिए छुट्टी मिलती है. फरलो अवधि को कैदी की सजा में छूट और अधिकार के तौर पर देखा जाता है. दूसरी ओर फरलो सिर्फ सजा पा चुके कैदी को ही इसे दिया जा सकता है. यह ऐसे कैदी को मिलता है जिसे लंबी सजा मिली होती है. इसको छुट्टी को दिए जाने का उद्देश्य होता है कि कैदी अपने परिवार और समाज के सदस्यों से संपर्क कर सके. यह बिना किसी स्पष्ट कारण के भी दी जा सकती है और वो इसलिए क्योंकि, जेल राज्य का मुद्दा है. इसलिए हर राज्य में फरलो पर अलग-अलग नियम होता है. हालांकि उत्तर प्रदेश में फरलों का नियम नहीं है.

पैरोल और फरलों में अंतर ?

फरलो और पैरोल में काफी अंतर होता है. इन दोनों का जिक्र 1894 के प्रिजन एक्ट में किया गया है. फरलो सिर्फ सजा पा चुके कैदी ही दिया जाता है, जबकि पैरोल किसी भी कैदी को कुछ दिनों के लिए दिया जा सकता है. इसके अलावा फरलो देने की कोई आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन पैरोल बिना कारण के नहीं दिया जाता है. जैसे- कैदी के परिवार में किसी की मौत हो जाती है, ब्लड रिलेशन में किसी की शादी हो या किसी और महत्वपूर्ण कारण से पैरोल दिया जाता है. पैरोल के लिए कैदी कोर्ट से मांग करता है, जिसमें कोर्ट चाहे तो ही पैरोल मिलती है, वरना कोर्ट इससे इनकार करने का भी अधिकार रखती है. पैरोल देने वाला अधिकारी कह सकता है कि, एक कैदी को छोड़ देना समाज के हित में नहीं है.

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किस मामले का आरोपित है राम रहीम ?

आपको बता दें कि राम रहीम सिरसा में अपने आश्रम में दो महिला अनुयायियों से बलात्कार करने के मामले में दो दशकों की सजा काट रहा है. अगस्त 2017 में पंचकूला की एक विशेष सीबीआई अदालत ने राम रहीम को दोषी करार दिया था. साथ ही इस मामले में कोर्ट ने गुरमीत राम रहीम को पूर्व डेरा प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या के मामले में भी उम्रकैद की सजा सुनाई है.

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