Ram mandir: राम मंदिर आंदोलन के ये पुरोधा हाशिए पर…
राम मंदिर आंदोलन के समय अपने सिर के बाल
AYODHYA: अयोध्या ( AYODHYA) में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा( pran pratishtha ) के लिए पूरे देश में अभी से तैयारियां जोर शोर से चल रही है. राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले बीजेपी के दो वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती( uma bharti ) और पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया हैं. दोनों को ही बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराने का भी आरोपी बनाया गया था लेकिन अब भाजपा ने उन्हें दरकिनार कर दिया है और रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा से पहले ही ये दोनों नेता हाशिए पर चले गए हैं.
गौरतलब है की उमा पिछले पांच साल से सक्रिय राजनीति से बाहर हैं. 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ने के बाद उनकी राजनीतिक जमीन हिल गई है. उमा को विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार करने के लिए भी नहीं कहा गया. फिलहाल पार्टी ने उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं दी है.
राम मंदिर आंदोलन में मुंडवाये सिर के बाल
ये वही उमा भारती हैं, जो राम मंदिर आंदोलन के समय अपने सिर के बाल तक मुंडवा लिये थे. जैसे-जैसे आंदोलन तीव्र हुआ, उमा भारती आंदोलन का सबसे लोकप्रिय चेहरा बन गई थीं. रामभक्तों ने उन्हें ‘दीदी’ कहकर बुलाना शुरू कर दिया. 1991 के चुनाव में उमा भारती खजुराहो से सांसद बनीं. दिसंबर 1992 में उमा भारती को कारसेवकों को जोड़ने की जिम्मेदारी मिली. उमा के तीखे भाषणों ने कारसेवकों में ऐसा जोश भरा कि हजारों की भीड़ अयोध्या के लिए निकल पड़ी.
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इतिहास बना उमा भारती का भाषण
6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या के रामकथा कुंज में उमा भारती का भाषण इतिहास बन गया. उमा भारती मंच से गरजीं-‘सरयू का पानी हमारे खून से लाल भी हो जाए तो….’ कुछ देर बाद फिर उमा की आवाज उठी- ‘मंदिर बनाने के लिए अगर जरूरत पड़ी तो हम अपनी हड्डियों को ईंट बना देंगे और लहू को गारा.’
BJP ने पवैया को किया दरकिनार-
यही हाल महाराष्ट्र के प्रभारी बनाये गये पवैया का भी है. 2018 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद पवैया गुमनामी में चले गए हैं. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं दिया गया था. पवैया राज्यसभा जाने के इच्छुक हैं, लेकिन कुछ जातीय समीकरणों के कारण वह वहां नहीं जा सकते. इन दोनों नेताओं के अलावा कई अन्य नेता भी हैं जो राम मंदिर आंदोलन के दौरान सक्रिय थे, लेकिन बीजेपी ने सभी को किनारे कर दिया गया है.