Quinine पर ट्रंप की नजर पड़ते ही किसानों के चेहरे खिले
कोरोना व मलेरिया के प्रभावी इलाज में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के अलावा Quinine की गोलियों का उपयोग
लगता है दार्जिलिंग की पहाड़ियां फिर से Quinine के चलते हरी भरी होंगी कारण कि डोनाल्ड ट्रंप की नजर यहां उपजाई जा रही एक औषधीय वनस्पति पर पड़ी है जिससे यह तैयार होता है। इस वनस्पति का नाम सिनकोना है।
डोनाल्ड ट्रंप की नजर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल पर जोर दिए जाने के बाद दार्जिलिंग की पहाड़ियों में सिनकोना पेड़ों की बागवानी करने वाले किसानों को Quinine की मांग बढ़ने की भी आशा है।
सिनकोना पेड़ों की छाल से बनती है Quinine
दरअसल मलेरिया के प्रभावी इलाज में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के अलावा कुनैन Quinine की गोलियों का उपयोग किया जाता है जो सिनकोना पेड़ों की छाल से बनती हैं। दार्जिलिंग की पहाड़ियों में 1862 में सिनकोना की बागवानी शुरू हुई और दशकों तक फूलती-फलती रही क्योंकि देश में मलेरिया के मरीजों की संख्या में कुछ खास कमी नहीं आयी और ना ही इस दवा की मांग में । विश्व मलेरिया रिपोर्ट के अनुसार, 2016 में भारत की आधी आबादी को मलेरिया होने का खतरा था।
Quinine की गोलियों का सिंथेटिक तरीके से भी उत्पादन
हाल-फिलहाल के वर्षों में सिनकोना की बागवानी करने वाले किसानों को कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ा क्योंकि Quinine की गोलियों का सिंथेटिक तरीके से उत्पादन होने लगा। पश्चिम बंगाल में सिनकोना बागवानी के निदेशक सैम्यूएल राय ने कहा, ‘‘कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर मलेरिया की दवाओं की मांग बढ़ी है और इससे दार्जिलिंग में सिनकोना की बागवानी भी बढ़ेगी। वर्षों की निराशा के बाद हमें आशा है कि व्यापार में सुधार आएगा।’’ उन्होंने बताा कि दवा बनाने वाली कंपनियां हालांकि अभी भी सिनकोना पेड़ों की छाल ई-नीलामी के जरिए खरीदतीं हैं क्योंकि इसका उपयोग अन्य कई दवाओं के निर्माण में भी होता है, लेकिन उन्होंने माना कि अब पहले जैसी बात नहीं रही।
Quinine की गोलियां सिनकोना पेड़ों की छाल से तैयार प्राकृतिक सत्व
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की बढ़ती मांग की पृष्ठभूमि में राय ने कहा कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन एक सिंथेटिक अणु है जो क्लोरोक्वीन से बनता है और यह रसायनिक तरीके से तैयार कुनैन है। उन्होंने बताया कि कुनैन की गोलियां सिनकोना पेड़ों की छाल से तैयार प्राकृतिक सत्व हैं। यह पूछने पर कि उन्हें ऐसा क्यों लग रहा है कि व्यापार बेहतर होगा, राय ने कहा, ‘‘मलेरिया की दवाओं की बढ़ती मांग को देखकर ऐसा लगता है कि सिनकोना पेड़ों की छाल से कुनैन का प्राकृतिक उत्पादन बढ़ेगा।’’ उन्होंने बताया, ‘‘मलेरिया की दवाओं की मांग बढ़ने के बाद मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश ने हमसे सिनकोना पेड़ों की सूखी छाल के बारे में सूचना मांगी है। हमें आशा है कि प्राकृतिक कुनैन लाभकारी होगा।’’ राय ने बताया कि सिनकोना की बागवानी दार्जिलिंग और कलिम्पोंग में होती है।
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