पंजाबी कवि और लेखक सुरजीत पातर का निधन, 79 साल में ली अंतिम सांस…
Dr. Surjit Patar Passes Away: साहित्य जगत के लिए शनिवार की सुबह दुखद खबर लेकर आयी है. पंजाबी साहित्य के मशहूर कवि और लेखक डॉ. सुरजीत पातर का आज सुबह निधन हो गया. वे 79 वर्ष के थे. जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार की रात वे अच्छे भले सोए थे और शनिवार की सुबह वे नींद से उठे ही नहीं. ऐसे में कयास यह लगाया जा रहा है कि, उनकी दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गयी है, हालांकि, अभी तक मौत के वजह की सही पुष्टि नहीं हो पायी है. लेकिन इस खबर ने साहित्य में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को गहरा आघात पहुंचाने का काम किया है.
कौन थे डॉ. सुरजीत पातर ?
डॉ. सुरजीत पातर के यदि परिचय की बात करें तो, वैसे तो वे किसी परिचय के मोहताज नहीं थे. फिर भी वे पंजाबी साहित्य जगत के जाने माने लेखक और कवि में से एक थे, लोग उनकी कविताएं काफी पसंद करते थे. अपनी लेखनी से उन्होने पाठकों के दिल में खास जगह बना रखी थी, वे भले आज हमारे बीच नहीं रहे है लेकिन उनकी लेखनी हमेशा साहित्य जगत में जीवित रहेगी. बता दें कि, उनका जन्म जालंधर के एक गांव पतड़कलां में हुआ था, अपनी पढाई पूरी करने के बाद सुरजीत पंजाब यूनिवर्सिटी में पंजाबी के प्रोफेसर पद पर रहे थे. आज उनके निधन से साहित्य जगत को भरी क्षति पहुंची है.
1964 में प्रकाशित हुई थी पहली कविता
आपको बता दें कि, सुरजीत ने एक बार एक इंटरव्यू में बताया था कि, बचपन से ही उनके दो सपने थे, पहला संगीतकार बनना और दूसरा कवि बनना. धीरे-धीरे वे कवि की ओर बढ़ते गए, उन्हें कॉलेज के दौरान कविता से अत्यधिक लगाव हुआ और इसकी ओर बढ़ते गए. उनका कहना था कि, उन्हें अपनी कविताओं को कई जगहों पर प्रकाशित करने के लिए कई स्थानों पर भेजना पड़ा और साल 1964 में प्रीतलड़ी पत्रिका ने उनकी कविता को पहली बार प्रकाशित किया था.
Also Read: दिल्ली में तूफान ने मचायी तबाही, 2 की मौत 23 घायल…
इन पुरस्कारों से हुए सम्मानित
सुरजीत पातर केवल अच्छे कवि होने के साथ – साथ अच्छे साहित्यकार भी थे. उनके लेखों को कई बड़े पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया. जिसमें साल 2012 में सुरजीत को पद्मश्री देकर सम्मानित किया गया. इसके अलावा साल 1979 में उन्हें पंजाब साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया, साल 2009 में सरस्वती सम्मान और गंगाधर राष्ट्रीय कविता पुरस्कार और 1993 में साहित्य अकादमी पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया था.