15 साल की प्रिया लड़ रही हैं बाल विवाह के खिलाफ जंग
देश में बाल विवाह जैसी घातक बीमारी सदियों से चली आ रही है। समाज इस बीमारी से इतना जकड़ चुका है जिसे बाहर निकालना हम सब की जिम्मेदारी और कर्तव्य है। सदियों पहले से ही इस महामारी के खिलाफ हमारे देश के कुछ समाज सुधारकों ने इसे जड़ से खत्म करने का प्रण किया था। कुछ हद तक सफल भी हुए लेकिन ये देश की बदकिश्मती है कि आज भी हमारा देश बाल विवाह जैसी कुप्रथा के चंगुल में फंसा हुआ है।
बाल विवाह के मामले में दूसरे नंबर पर है इंडिया
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक हमारा देश आज भी बाल विवाह के मामले में दूसरे नंबर पर है जो बहुत ही शर्मनाक है। समाज से बाल विवाह को खत्म करने के लिए महज 10 साल की राजस्थान के अलवर जिले की रहने वाली एक छोटी सी बच्ची ने इसके खिलाफ आवाज बुलंद की है। इस बच्ची का नाम प्रिया जांगिड़ है।प्रिया ने बाल विवाह के खिलाफ जंग छेड़ कर उन लड़कियों के लिए मिसाल बन गई हैं जो चाहती है कि इस समाज से इस अंधकार को खत्म करने की जरुरत है।
प्रिया जांगिड़ ने छेड़ रखी है बाल विवाह के खिलाफ जंग
आज राजस्थान का शायद ही कोई शख्स होगा जो प्रिया के नाम से अनजान हो। प्रिया भी बाल विवाह के इस मकड़जाल में फंसने जा रही थी लेकिन इन्होंने इस कुप्रथा के खिलाफ आवाज उठायी और अपने परिवार को समझाया, लेकिन परिवार को समझाना इतना आसान नहीं था बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और शादी करने से मना कर दिया। प्रिया का कहना है कि एक दिन जब वो स्कूल से घर पहुंची तो पता चला कि उनकी शादी की बात की जा रही है और जल्द ही उनकी शादी कर दी, इतना सुनते ही प्रिया के पैरों तले की जमीन खिसक गई।
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नोबल पुरस्कार विजेता कैलास सत्यार्थी के साथ जुड़कर कर रही हैं काम
जिस आंखों में अभी उड़ने के सपने देखे जा रहे थे उन आंखों में अब मायूसी छा गई। शादी से इंकार के बाद उनके परिवार को कुंठित समाज की प्रताड़ना मिलनी शुरू हो गई। लोगों ने परिवार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया, और तरह-तरह की बातें शुरू हो गईं। लेकिन अंधे और बहरे समाज के आगे प्रिया ने झुकना नहीं सीखा। आज के समय में प्रिया कैलाश सत्यार्थी द्वारा चलाए जा रहे बचपन बचाओ आंदोलन में प्रिया कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं।
इस मुहिम के तहत कर चुकी हैं कई देशों का दौरा
आपको बता दें कि प्रिया अपने इसी अभियान के तहत अमेरिका और स्वीडन जैसे देशों का दौरा कर चुकी हैं। आज प्रिया इतना फेमस हो चुकी हैं कि लोग उनकी बातों को सुनना पसंद करते हैं और उनकी बात को मानते हैं। इस घातक बीमारी से लड़ने वाली प्रिया समाज के लिए आइना है साथ ही समाज के उन ठेकेदारों के मुंह पर तमाचा है जो ये समझते है कि बेटी सिर्फ एक बेटी है और आखिर में उसे सिर्फ घर गृहस्थी वाला जीवन जीना है इसलिए जितनी जल्दी हो सके दूसरे के खूंटे से बांध दो।