कोरोना के कहर से टूटा कच्चा तेल, पांच महीने के निचले स्तर पर भाव

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कोरोना के गहराते प्रकोप से निपटने के लिए यूरोप में लॉकडाउन से वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंकाओं से फिर कच्चे तेल के दाम में भारी गिरावट आई है। वैश्विक बाजार में कच्चे तेल का भाव पांच महीने के निचले स्तर पर आ गया है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बीते एक सप्ताह में बेंचमार्क कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड के दाम में करीब पांच डॉलर प्रति बैरल की गिरावट आई है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में आई गिरावट से भारतीय वायदा बाजाद में भी बीते एक सप्ताह में करीब 400 रुपये प्रति बैरल की गिरावट आई है। घरेलू वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर कच्चे तेल के नवंबर वायदा अनुबंध में बीते सत्र से 83 रुपये यानी 3.14 फीसदी की गिरावट के साथ 2,559 रुपये प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले भाव 2,544 रुपये प्रति बैरल तक टूटा, जोकि 29 मई के बाद का सबसे निचला स्तर है जब तेल का भाव 2,450 रुपये प्रति बैरल तक टूटा था।

अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) पर ब्रेंट क्रूड के जनवरी डिलीवरी अनुबंध में बीते सत्र के मुकाबले 3.06 फीसदी की गिरावट के साथ 36.78 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले भाव 35.76 डॉलर प्रति बैरल तक टूटा था जो करीब पांच महीने का सबसे निचला स्तर है। इसी प्रकार, अमेरिकी क्रूड वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) के दिसंबर डिलीवरी अनुबंध में भी बीते सत्र से 3.66 फीसदी की कमजोरी के साथ 34.48 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था, जबकि इससे पहले भाव 33.65 डॉलर तक टूटा था जोकि 29 मई के बाद का सबसे निचला स्तर है जब डब्ल्यूटीआई का भाव 32.36 डॉलर प्रति बैरल तक गिरा था।

एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट (एनर्जी एवं करेंसी रिसर्च) अनुज गुप्ता ने बताया कि कोरोना के कहर के चलते तेल की मांग कमजोर रहने की आशंका से कीमतों में गिरावट आई है और आगे डब्ल्यूटीआई का भाव 30 डॉलर जबकि ब्रेंट क्रूड का 32 डॉलर प्रति बैरल तक गिर सकता है।

केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने भी बताया कि कोरोन के कहर के चलते यूरोप में लॉकडाउन होने से तेल की मांग में कमी की आशंका बनी हुई है जिससे अक्टूबर महीने में कच्चे तेल के भाव में 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट रही। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर राजनीतिक उथल-पुथल को लेकर भी कारोबारी असमंजस में हैं।

केडिया ने कच्चे तेल के दाम में आई गिरावट की पांच मुख्य वजहें गिनाईं जो इस प्रकार हैं:

1. कोरोना का कहर दोबारा गहराने से तेल की मांग में कमी की आशंका बनी हुई है।

2. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।

3. लीबिया और इराक से तेल की आपूर्ति बढ़ने से ओपेक के अन्य सदस्यों देशों द्वारा किए जा रहे उत्पादन में कटौती के बावजूद समूह की आपूर्ति में वृद्धि हो रही है।

4. आईईए का अनुमान है कि कोरोना महामारी का असर लंबे समय तक रह सकता है जिससे तेल की वैश्विक मांग के मामले में यह सदी का सबसे कमजोर दशक रह सकता है। उधर, ओपेक प्रमुख का कहना है कि कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने से तेल में रिकवरी में विलंब हो सकता है।

5. अमेरिका में तेल के भंडार में 23 अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान 43.2 लाख बैरल का इजाफा हुआ। कोरोना महामारी के चलते अमेरिका में तेल की मांग में पिछले साल के मुकाबले करीब 13 फीसदी की गिरावट आई है।

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