डॉ. हनीफ खान शास्त्री के इस सराहनीय कार्य के लिए मिला पद्मश्री सम्मान
नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन पर महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हाथरस में दुद्धी के लाल डॉ हनीफ खान शास्त्री को सर्वोच्च पुरस्कार पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया। उन्हें यह सम्मान मिलते ही टीवी पर नजरें गड़ाए उनके चहेतों को खुशी का ठिकाना नही रहा। सम्मान समारोह में उनकी पत्नी कैशर बानों, पुत्री शाहिस्ता हनीफ खान , हुमैरा हनीफ खान मौजूद रहे।
कुरान और वेदों की समानता को करते हैं अपनी किताबों में प्रदर्शित:
डॉ हनीफ खान शास्त्री ने वार्ता में बताया कि वे कुरान ,वेद ,भगवदगीता ,उपनिषद, गीता ,पुराण में समानता को लिखते रहते है। देश विदेश में प्रवचन भी करते रहते है। कहा कि एक बार भारत के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद वियतनाम की राजधानी हनोई गए थे वहां के सरकारी गेस्ट हाउस में बैठे थे उसी समय टीवी में उनका लेक्चर चल रहा था। गीता और पुराण में मानवीय सद्भावना के ऊपर दूरदर्शन वाले उनका लेक्चर टेलिकास्ट कर रहे थे।जब महामहिम राष्ट्रपति भारत आये तो उन्होंने उन्हें अपने मातहतों से ढूंढ़वाया।
राष्ट्रपति ने हनीफ शास्त्री का लेक्चर सुन मिलने बुलाया:
28 नवंबर 18 को उन्हें राष्ट्रपति भवन बुलवाया और कहा कि मैं वियतनाम में आपका लेक्चर सुन कर प्रभावित हुआ। डॉ हनीफ ने आगे कहा कि मेरे द्वारा लिखी हुई कई किताबों को उन्होंने अपने पास मंगवाया। उन्होंने बताया कि लगभग 50 हजार लोगों ने भारत सरकार द्वारा दिये जा रहे पुरस्कार को लेकर आवेदन दिया था। जिसमें 112 लोगों का चयन पद्मभूषण ,पदमश्री ,पदमविभूषण,भारतरत्न के लिए चुना गया।उनमें से मैं एक था और आज हमें भारत के सर्वोच्च पुरस्कार में से एक “पदमश्री” महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों दिया गया।
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पद्मश्री सम्मान किया दुद्धीवासियों को समर्पित
सोनभद्र के दुद्धी की जनता के लिए उन्होंने कहा कि मैं तो गरीबी में पढ़ा हूं, मेरे पिताजी का देहांत हो चुका था। मित्रो ने चंदा करके हमें पढ़ाया है। मेरे घर में उन दिनों प्राइमरी पास कोई नही था। हमारे दिमाग में उन दिनों ही यह आया कि हमें दुद्धी के लोगों के लिए कुछ आदर्श कायम करना चाहिए। क्षेत्रवासियों के एहसान तो मैं चुका नही पाया। इसलिए यह पदमश्री का सम्मान दुद्धीवासियों को समर्पित करता हूँ।
कई पुरस्कारों से पूर्व में भी हो चुके है सम्मानित:
सोनभद्र के दुद्धी के लाल डॉ हनीफ खान शास्त्री को साहित्य और शिक्षा के बीच असाधारण फर्क को समझाने में सेवा देने के लिए पदमश्री से सम्मानित किया गया।
वे दुद्धी के ऐसे लाल है जो वाराणसी के संपूर्णानंद विश्ववविद्यालय से संस्कृत से एमए की और पुराण के बारे में गहनता से अध्यन किया और आचार्य व शास्त्री व डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की, जो बाद में संस्कृत के प्रकांड विद्वान बने।
इन्होंने नई दिल्ली के राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान डीम्ड यूनिवर्सिटी में बतौर संस्कृत के प्रोफ़ेसर अपनी सेवाएं दी।
अपने जीवन में अभी तक उन्होंने मोहनगीता, गीता और कुरान में सामंजस्य , वेद और कुरान से महामंत्र गायत्री और सूरह फातिहा ,वेदों में मानव अधिकार,मेलजोल, महामंत्र गायत्री का बौद्धिक उपयोग, श्रीमद्भगवत गीता और कुरान ,विश्वबंधुत्व का प्रत्यक्ष प्रमाण आदि किताबों को लिखा
हिन्दू मुस्लिम एकता सूत्र में बांधे रखने में मिसाल कायम की। जिनको कई प्रकार के विभिन्न अवार्ड से पूर्व अलंकृत किया जा चुका है।
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