BPSC परीक्षा विवाद: प्रशांत किशोर ने सशक्त जमानत लेने से किया इंकार
सुबह लगभग चार बजे हुई थी गिरफ़्तारी
बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा को लेकर विवाद गहराता जा रहा है.
पटना के गांधी मैदान में बीपीएससी की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ प्रशांत किशोर आमरण अनशन पर बैठे थे. सोमवार की तड़के लगभग चार बजे पुलिस ने उन्हें जबरदस्ती उठाया और अनशन स्थल से ले गई.
इससे पहले पुलिस की टीम प्रशांत किशोर को एंबुलेंस से एम्स ले गई थी. इस बीच पटना पुलिस ने धरनास्थल को खाली करा लिया है. बताया जा रहा है कि पुलिस के एक्शन के दौरान पीके अपने समर्थकों के साथ धरना स्थल पर सो रहे थे.
कोर्ट परिसर में उग्र हुए प्रशांत किशोर के समर्थक
पटना पुलिस जब प्रशांत किशोर को जेल ले जाने के लिए कोर्ट परिसर से निकल रही थी, तो उनके समर्थकों की भारी भीड़ वहां जमा हो गई. समर्थकों ने पीके को जेल भेजने का विरोध किया और नीतीश सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. स्थिति तब और बिगड़ गई जब कुछ उपद्रवियों ने तोड़फोड़ कर दी. हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा.
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पीके बोले- बेल नहीं लूंगा, जेल में भी जारी रहेगा अनशन
कोर्ट परिसर में अपने समर्थकों से बातचीत करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि उनका आमरण अनशन जारी रहेगा. उन्होंने समर्थकों से अपील की कि आंदोलन बंद न करें, क्योंकि इससे सरकार को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वह कंडीशनल बेल नहीं लेंगे और जेल में रहकर भी अपना अनशन जारी रखेंगे.
प्रशांत किशोर ने कहा, “युवाओं के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना अगर गुनाह है, तो मुझे जेल जाना मंजूर है। मैं जेल में रहकर भी अपना आमरण अनशन जारी रखूंगा।”
प्रशांत किशोर का समर्थन
जन सुराज के संस्थापक और रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर ने 2 जनवरी से भूख हड़ताल शुरू की थी, जिसमें उन्होंने प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ एकजुटता दिखाई. छात्रों ने परीक्षा के सवालों और मॉडल पेपर्स से उनकी समानता को लेकर आपत्ति जताई है और परीक्षा में गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए इसे रद्द करने और फिर से आयोजित करने की मांग की है.
परीक्षा केंद्र पर क्यों हुआ था हंगामा
BPSC की परीक्षा 912 केंद्रों पर आयोजित की गई थी, लेकिन पटना के एक केंद्र पर प्रश्नपत्र वितरण में देरी से विवाद शुरू हुआ. तनाव के बीच, परीक्षा पर्यवेक्षक राम इकबाल सिंह को दिल का दौरा पड़ा और अस्पताल ले जाया गया,लेकिन प्रदर्शनकारी छात्रों ने एंबुलेंस का रास्ता रोक दिया. इस दौरान, पटना के जिला मजिस्ट्रेट चंद्रशेखर सिंह ने एक छात्र को थप्पड़ मारा, जिससे गुस्सा और भड़क गया.
छात्रों की मांगें
छात्र परीक्षा रद्द करने और फिर से आयोजित करने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने साथ ही पहले हुए प्रदर्शनों के दौरान छात्रों पर दर्ज एफआईआर को वापस लेने की भी अपील की है. तनाव तब और बढ़ गया, जब बीपीएससी अभ्यर्थी सोनू कुमार की आत्महत्या की खबर सामने आई, जिसे नौकरी के दबाव का नतीजा बताया जा रहा है.
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लाठीचार्ज और विरोध
25 दिसंबर को पुलिस लाठीचार्ज में कई प्रदर्शनकारी घायल हुए. एक महिला छात्रा ने पुलिस पर बदसलूकी का आरोप लगाया.इसके बाद प्रशांत किशोर ने प्रदर्शन स्थल का दौरा किया और छात्रों से मुलाकात की. उन्होंने 27 दिसंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने के लिए मार्च का आह्वान किया.
सरकार ने 30 दिसंबर को मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा के साथ छात्रों की बैठक का प्रस्ताव रखा, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. प्रशांत किशोर ने सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया और कार्रवाई नहीं होने पर गांधी मैदान में भूख हड़ताल शुरू कर दी.