पुलिस का दावा- मोहम्मद जुबैर ने मोबाइल और लैपटॉप से मिटाया डाटा, खाते में आए 50 लाख रुपये की जांच कर रही टीम

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धर्म के नाम पर उकसाने और भड़काने वाली पोस्ट करने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को 27 जून, 2022 की शाम को गिरफ्तार कर लिया था. जुबैर पर दर्ज एफआईआर के मुताबिक उनके ट्वीट्स लोगों में काफी ज्यादा नफरत की भावना पैदा करने वाले होते हैं. पटियाला हाउस अदालत ने बीते मंगलवार को जुबैर की पुलिस हिरासत की अवधि 4 दिन के लिए बढ़ा दी. पुलिस का दावा है कि जुबैर ने अपने लैपटॉप और मोबाइल से डाटा मिटाया है, जिसकी बरामदगी की जानी है.

उधर, मोहम्मद जुबैर के खाते में कुछ दिनों में करीब 50 लाख रुपये आने का पता चला है. पुलिस टीम इस बात का पता लगा रही है कि ये रुपये कहां से और किस मकसद से भेजे गए. दिल्ली पुलिस सूत्रों की मानें तो आरोपी के खाते में हुए लेन-देन की जांच की जा रही है.

Asjad shanu's tweet - "Mohammed Zubair is a Shining Example of Journalism  WITHOUT Fear or Favour ! India Needs BRAVE Journalists like Zubair.💪💪  More power to you @zoo_bear. #IStandWithZubair  #Stopinsulting_ProphetMuhammad #الا_رسول_الله_يا_مودي ...

पटियाला हाउस कोर्ट स्थित मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवरिया ने कहा ‘जुबैर जांच में पुलिस का सहयोग नहीं कर रहा है. साथ ही ट्वीट के लिए इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की बरामदगी बाकी है.’ इस टिप्पणी के बाद सरवरिया ने जुबैर की पुलिस हिरासत की अवधि 4 दिन के लिए बढ़ा दी, ताकि मोबाइल और लैपटॉप की बरामदगी के लिए पुलिस उसे बेंगलुरु ले जा सके. हालांकि, पुलिस ने हिरासत की अवधि 5 दिन बढ़ाने की मांग की थी. अदालत ने यह आदेश तब दिया, जब दिल्ली पुलिस ने कहा कि आरोपी सहयोग नहीं कर रहा है और उसका मोबाइल और लैपटॉप बेंगलुरु स्थित घर से बरामद करना है.

जुबैर की ओर से अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने कहा ‘उनके मुवक्किल ने ट्वीट में जिस फोटो का इस्तेमाल किया है, वह ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा 1983 बनाई गई एक पुरानी हिंदी फिल्म ‘किसी से ना कहना’ की है और फिल्म पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया था.’ हालांकि, अदालत ने कहा कि इससे आरोपी की सहायता नहीं होती. अदालत ने जुबैर को 2 जुलाई को दोबारा पेश करने और मेडिकल जांच का आदेश दिया.

Mohammed Zubair: जानिए कौन हैं मोहम्मद जुबैर, जिनके खिलाफ हाई कोर्ट ने FIR  रद्द करने से किया इनकार - know who is mohammad zubair against whom high  court refused to quash the

आरोपी की ओर से पेश अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने अदालत में पुलिस हिरासत की अवधि बढ़ाए जाने की मांग का विरोध किया. उन्होंने कहा ‘पुलिस शक्ति का दुरुपयोग कर रही है. पुलिस ने किसी अन्य मामले में मुवक्किल को पूछताछ के लिए बुलाया लेकिन उन्हें जल्दबाजी में गिरफ्तार कर लिया. उनकी टीम के वकील ने एक ऑनलाइन टीवी चैनल से रिमांड अर्जी की प्रतियां डाउनलोड कीं, पुलिस ने अभी तक उन्हें प्रति नहीं दी है.

बता दें मोहम्मद जुबैर बेंगलुरु का रहने वाला है. वह पहले एक आईटी कार्यकारी के रूप में काम करता था. इसके बाद साल 2017 में जुबैर ने प्रतीक सिन्हा के साथ मिलकर ऑल्ट न्यूज को फैक्ट चेक वेबसाइट के रूप में लॉन्च किया और वह इसका सह संस्थापक है.

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