हादसा, लापता और शिनाख्त की 56 साल की मार्मिक कहानी….
इन दिनों एक झकझोर देने वाली एक खबर सुर्खियों में चल रही है, जिसे सुनकर हर किसी की रूह कांप गयी है. यह कुछ जवानों की ऐसी कहानी है, जिसमें प्लेन क्रैश, गुमशुदगी और 56 साल के बाद की शिनाख्त है. 56 साल…यह सुनकर ही हर किसी हैरानी होती है, 56 साल एक लम्बा समय होता है जिसमें एक शख्स अपनी जिंदगी के तमाम लम्हों को जीता है, लेकिन इस हादसे ने इन जवानों के परिवार वालों की जिंदगी में बस इंतजार लिखा और कुछ आंखें तो ऐसी थी कि, इंतजार के साथ ही पथरा गयी और आज जब उनके शवों के अवशेष बरामद हुए हैं तो, वे उनके पार्थिर शरीर को मुखाग्नि देने के लिए इस दुनिया में नहीं है….
यह कहानी उन चार जवानों की है, जिनके अवशेष 56 सालों बाद बर्फ की मोटी परत में दबे हुए पाए गए हैं, बताते हैं कि, यह सभी जवान हिमाचल प्रदेश के लाहौर स्पीति में एक विमान हादसे का शिकार हुए थे, जिनके शव के अवशेष 29 सितंबर 2024 के चंद्रभागा -13 ढाका ग्लेशियर के बरामद किए गए हैं. इनमें जिनके शव बरामद हुए हैं उनकी पहचान मलखान सिंह, सहारनपुर, नारायण सिंह पौड़ी-गढवाल, मुंशी राम, रेवाड़ी और थॉमस चैरियन केरल के तौर पर हुई हैं, बताते हैं कि इस विमान हादसे की खोज के लिए डोगरा स्काउट्स साल 2004, 2007, 2013, 2019 में विशेष अभियान चला चुका है. लेकिन अफसोस इन ऑपरेशन में कुछ भी बरामद नहीं किया गया, लेकिन इस बार का यह ऑपरेशन सफल रहा और पांच शव बरामद किए गए हैं.
क्या है हादसे की पूरी कहानी …
बताते है कि, साल 1968 की 7 फरवरी को भारतीय वायुसेना के एएन-12 विमान ने चंडीगढ़ से लेह के लिए उड़ान भरी थी, इस विमान में क्रू-मेंबर के साथ साथ कुल 102 जवान सवार थे. इस जब विमान रोहतांग दर्रे के पास पहुंचा तो, उस समय विमान से संपर्क टूट गया और जब फिर कुछ समय बात इस बात का पता चला कि, वह विमान खराब मौसम की वजह से दुर्घटनाग्रस्त हो गया. जिसके बाद बर्फ में सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया, जिसमें से कुछ शव बरामद हुए और कुछ अभी भी नहीं बर्फ में दफन रहे. इसके बाद कई सालों तक सर्च ऑपरेशन चलाएं जाते रहे जिसमें कुछ सालों तक इस ऑपरेशन को सफलता नहीं हासिल हुई है, वहीं साल 2019 में विमान के अवशेष और पांच शव बरामद किए गए थे. इसके बाद 29 सितंबर 2024 को चार और शव बरामद किए गए हैं.
क्या अब भी वायुसेना में इस्तेमाल हो रहे है एएन-12 विमान…
एएन -12 विमान को सोवियत संघ द्वारा विकसित किया गया था, यह विमान चार इंजन वाला विमान हुआ करता था. इस विमान को उस समय मुख्य रूप से सैन्य और नागरिक दोनों के उद्देश्यों के लिए उपयोग में लाया जाता था, लेकिन भारतीय वायुसेना में इस विमान को साल 1960 में शामिल किया गया था और उसके बाद साल 1968 में यह विमान हादसे का शिकार हो गया था. जिसके बाद से अब भारतीय वायुसेना में एएन-12 विमान इस्तेमाल नहीं किया जाता है, लेकिन बाकी कई सारे देश है जिनमें आज भी एएन-12 विमान का इस्तेमाल किया जा रहा है.
क्या ऐसे पहले भी सामने आए मामले …
विमान हादसों के बाद शवों की पहचान और उन्हे खोजने के प्रक्रिया का काम काफी चुनौतीपू्र्ण होता है, यही वजह है कि, इस कार्य को पूरा होने में कई सालों का समय लग जाया करता है. ऐसे इस मामले से पहले भी कई सारे मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें कई सालों के बाद शवों और मलबे को बरामद किया गया है. वे हादसे कौन से हैं आइए जानते हैं….
एयर इंडिया फ्लाइट 182 (1985)-
एयर इंडिया की फ़्लाइट 182, जिसे ‘कनिष्क’ के नाम से जाना जाता था. 23 जून 1985 को आयरलैंड के ऊपर अटलांटिक महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हो या था. इस विमान में सवार सभी 329 लोग मारे गए थे. यह विमानन इतिहास में सबसे घातक आतंकवादी हमला था. इस हादसे के मलबे और शवों की खोज कई महीनों तक जारी रही थी, जिसके बाद कुछ शवों को साल 1986 में बरामद किया गया था.
हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड एचएएल-एएन-12 (1977)-
18 मार्च 1977 को हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड एचएएल-एएन-12 विमान हादसे का शिकार हुआ था, जब यह विमान बंगलुरू के निकट उड़ान भर रहा था, यह उड़ान विमान की एक नियमित उडान थी, इस दौरान इसमें कुछ चालक दल के सदस्य के अलावा अन्य यात्री सवार थे. इस दौरान तकनीकी दिक्कतों की वजह से उड़ान भरने के बाद यह विमान दु्र्घटनाग्रस्त हो गया था. जिसके बाद मलबा और शवों को खोजने में कई हफ्तों का समय लग गया था,जिसके बाद शव और मलबा बरामद किया गया था.
तजाकिस्तान एयरलाइंस (1992)-
साल 1992 में तजाकिस्तान एयरलाइंस का एक प्रमुख विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, जिस समय यह विमान दु्र्घटनाग्रस्त हुआ उस समय यह तजाकिस्तान के दुशांबे के पास था. बताते हैं कि, यह हादसा तजाकिस्तान में चल रहे गृहयुद्ध के दौरान हुआ था. वहीं बता दें कि, यह विमान सैन्य परिवहन विमान था, जिसमें कई सारे यात्री और चालक दल के सदस्य मौजूद थे. इस हादसे के बाद शुरू हुए सर्च ऑपरेशन में काफी लम्बा समय लग गया और साल 2000 में इस विमान हादसे का मलबा बरामद किया गया.
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लापता मलेशियाई एयरलाइंस फ्लाइट MH370 (2014)-
8 मार्च 2014 को मलेशियाई एयरलाइंस की फ्लाइट MH370 के साथ एक बहुत रहस्यमयी और दुखद घटना घटित हुई थी, इस विमान ने कुआलालंपुर, मलेशिया से बीजिंग, चीन के लिए उड़ान भरा था, लेकिन उडान भरने के 38 मिनट बाद इस विमान का रडार से संपर्क टूट गया और इसके बाद विमान ने अपने निर्धारित मार्ग से मुड़कर दक्षिण की तरफ उड़ान भरी थी. इसके बाद विमान को खोजने के लिए व्यापक अंतरराष्ट्रीय प्रयास किए गए, जिसमें कई देशों के द्वारा समुद्री और हवाई खोज अभियान चलाए गए, लेकिन कई सालों बाद भी मलबा और अधिकांश शव नहीं बरामद हुए. वहीं इसके बाद साल 2015 में कुछ मलबे के टुकड़े, जैसे कि फ्लैप का एक हिस्सा प्रशांत महासागर के विभिन्न द्वीपों के किनारे से बरामद किए गए थे.